मोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने का ऐलान कर दिया है। इसकी मांग काफी समय से हो रही थी। विपक्षी दल भी लगातार इस मुद्दे पर मोदी सरकार को घेर रहे थे। इसके बाद बुधवार को सरकार की ओर से ऐलान किया गया कि जनगणना के साथ जातीय जनगणना भी की जाएगी। अब लोग जानना चाह रहे हैं कि आखिर में कैसे जातियों को गिना जाएगा?

कैसे होगी जनगणना?

क्या अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की गणना केंद्रीय या राज्य सूची के अनुसार की जाएगी? क्या हर जाति समूह, यहां तक कि सामान्य श्रेणी के लोगों की भी अलग से गणना की जानी चाहिए? जनगणना प्रक्रिया से जुड़े पूर्व अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अगली जनगणना में जाति को शामिल करने के अपने फैसले को लागू करने के लिए सरकार के सामने ये प्रमुख प्रश्न हैं। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों पर अंतिम निर्णय राजनीतिक निर्णय होंगे। अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की गणना 1950 के संवैधानिक आदेशों के तहत अधिसूचित आधिकारिक सूचियों के आधार पर की जाती है जबकि ओबीसी के लिए कोई एक सूची नहीं है। एससी या एसटी सूची, जिसमें वर्तमान में 1,170 एससी जातियां और 890 एसटी समुदाय शामिल हैं, उसे समय-समय पर संसदीय संशोधनों के माध्यम से अपडेट किया जाता है।

ओबीसी के मामले में दो अलग-अलग सूचियां रखी जाती हैं। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के पास एक केंद्रीय सूची है जिसका उपयोग केंद्र सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए किया जाता है। इसके साथ ही हरेक राज्य अपनी स्वयं की ओबीसी सूची बनाए रखता है जो केंद्रीय सूची से अलग होती है और अक्सर उससे अधिक व्यापक होती है। अब सरकार के सामने एक महत्वपूर्ण विकल्प है। क्या ओबीसी गणना को 2,650 समुदायों की केंद्रीय सूची तक सीमित रखा जाए या विभिन्न राज्य सूचियों को शामिल करके इस अभ्यास का विस्तार किया जाए। यह निर्णय जितना राजनीतिक रूप से संवेदनशील है, उतना ही प्रशासनिक रूप से कठिन भी है।

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जनरल में शमिल जातियों की होगी अलग गिनती?

दूसरा महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या जाति गणना में सामान्य श्रेणी सहित सभी जातियों को शामिल किया जाना चाहिए। वर्तमान में जनगणना के दौरान, एससी और एसटी उत्तरदाता अपनी विशेष जाति या जनजाति को बताते हैं, जिसे कर्मचारी फिर पूर्व में स्वीकृत सूचियों से मिलाते हैं। हालांकि सामान्य श्रेणी को एक ही ब्लॉक के रूप में गिना जाता है। बिहार और तेलंगाना द्वारा हाल ही में किए गए जाति सर्वेक्षणों ने सामान्य श्रेणी के अंतर्गत अलग-अलग जाति समूहों की गणना की।

बिहार जाति सर्वेक्षण में राज्य सरकार की सूची के अनुसार कुल 214 जातियों की गणना की गई। इसमें एससी श्रेणी में 22 और एसटी और ओबीसी समूहों में क्रमशः 32 और 30 शामिल थे। 113 जातियों की पहचान अत्यंत पिछड़ी जातियों के रूप में की गई, जबकि सात को उच्च जाति की श्रेणी में रखा गया। तेलंगाना में जाति सर्वेक्षण में सामान्य या अन्य जातियों (OC) की श्रेणी में अलग-अलग समूहों की गणना की गई। सर्वेक्षण के निष्कर्षों ने राज्य में सामान्य श्रेणी की आबादी को 15.79% पर रखा, लेकिन रेड्डी जैसे विशिष्ट प्रमुख जाति समूहों के विवरण सहित पूरी जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी नहीं की गई है।

तेलंगाना के आंकड़ों का नहीं हुआ खुलासा

राज्य सरकार ने कहा है कि वह व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा दिशानिर्देशों के कारण तेलंगाना के आंकड़ों का खुलासा नहीं कर सकती है। बिहार और तेलंगाना में सर्वेक्षण करते समय व्यक्तियों से जाति के प्रमाण या दस्तावेज़ नहीं मांगे गए। तेलंगाना में जाति सर्वेक्षण से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “जाति के बारे में जानकारी पूरी तरह से स्वैच्छिक आधार पर दी गई थी। हमारा मानना है कि लोग अपनी जाति के बारे में झूठ नहीं बोलते हैं, इसलिए हमने उनके द्वारा बताए गए आंकड़ों के आधार पर काम किया।”

पिछली जनगणना 2011 में की गई थी। महापंजीयक और जनगणना आयुक्त कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि यह प्रक्रिया 2020 की जनगणना के लिए की गई तैयारी को प्रतिबिंबित करने की उम्मीद है, जिसे अंततः कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था। अनुमानों के अनुसार, सरकार को गणना शुरू करने से पहले कम से कम छह महीने की तैयारी की आवश्यकता होगी। पहला कदम आधिकारिक राजपत्र में एक अधिसूचना जारी करना है, जिसमें जनगणना करने के अपने इरादे की घोषणा की जाए। इसके बाद सभी राज्य सरकारों को इसी तरह की अधिसूचनाए जारी करनी होंगी और ये एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दो महीने तक का समय लग सकता है। एक बार ये लागू हो जाने के बाद, घरों की सूची और जनसंख्या गणना चरणों के लिए प्रोफ़ॉर्मा को औपचारिक रूप से अधिसूचित करना होगा।

इसबार होनी थी डिजिटल गणना

स्थगित 2021 की जनगणना डिजिटल गणना का उपयोग करने वाली पहली जनगणना थी, जिसमें अधिकारी पेन और पेपर के बजाय इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म के माध्यम से डेटा इकट्ठा करते थे। जाति को एक कॉलम के रूप में शामिल करने के साथ, अब सॉफ्टवेयर को Sub Caste के ड्रॉप-डाउन मेनू के साथ-साथ ओबीसी के लिए एक नया फ़ील्ड शामिल करने के लिए अपडेट करना होगा।

हालांकि अब कर्मचारियों को फिर से ट्रेनिंग की भी आवश्यकता होगी, क्योंकि पिछले अभ्यास में शामिल कई लोग अब रिटायर्ड हो रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि अकेले प्रशिक्षण में आमतौर पर दो महीने लगते हैं। एक अधिकारी ने बताया, “लगभग 80% काम तैयारी के चरण के दौरान करना होगा। केवल 20% डेटा कलेक्शन के बाद का है। टेक्नोलॉजी को अपनाने से डेटा को आसान करने के लिए आवश्यक मैन्युअल प्रयास में काफी कमी आएगी, जिसमें पहले महीनों या कभी-कभी सालों लग जाते थे।”