Prasanta Sahu
केंद्र सरकार द्वारा किसानों को कैश ट्रांसफर के जरिए आर्थिक सुविधा मुहैया कराने वाली योजना चर्चा में है। यह आम अवधारणा है कि इस योजना को लागू करने में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को भारी रकम खर्च करने होंगे। सूत्रों के मुताबिक एक एकड़ से कम जमीन वाले किसानों को साल भर में 4 हजार रुपये देने वाली केंद्र सरकार की इस योजना को लेकर रूझान काफी सकारात्मक है। हालांकि, अभी यह औपचारिक रूप से तय नहीं हो पाया है कि यह सभी किसानों के लिए होगा या फिर इसमें सिर्फ छोटे या गरीब किसानों को शामिल किया जाएगा। यह स्कीम तेलंगाना के ‘रितु बंधु’ योजना के आधार पर तैयार की गई है। (रितु बंधु योजना के तहत किसानों को प्रति एकड़ एक साल में 8000 रुपये दिए जाते हैं।) इसी तरह की योजना झारखंड और ओडिशा में भी लागू की जा चुकी है।
जानकारी के मुताबिक इस योजना में यदि सभी किसानों को शामिल किया जाता है तो केंद्र सरकार पर इसका बोझ 1.3 लाख करोड़ रुपये का आएगा। वहीं, अगर सरकार सिर्फ छोटे और गरीब किसानों (2 हेक्टेअर तक जमीन) को ही शामिल करती है तब 58,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। गौरतलब है कि देश के 45 फीसदी जमीन पर छोटे किसान ही खेती-बाड़ी का काम करते हैं। लेकिन, अगर इसमें मध्यम श्रेणी के किसानों को भी शामिल कर लिया जाता है तो यह रकम बढ़कर लगभग दो गुनी हो जाएगी। इस स्कीम का फंड कहां से आएगा इसकी चर्चा भी काफी है। ऐसे में सरकार के पास तमाम सब्सिडियों और दूसरे मदों के पैसों को इसमें लगाने का विकल्प है। सरकार रासायनिक खादों पर सब्सिडी के रूप में 70,000 करोड़ रुपये वहन करती है। वहीं फसल ऋण के ब्याज पर सब्सिडी का खर्च 15,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष है। इसके अलावा आरबीआई के रिजर्व में पहले से ही 2.5 लाख रुपये विभिन्न योजनाओं के लिए रखे हुए हैं। ये रकम कैश ट्रांसफर स्कीम को लागू करने के लिए सरकार के सबसे बड़े आर्थिक श्रोत हैं।
सूत्र के मुताबिक, “यह स्कीम लोन माफी की तुलना में काफी बड़ी और व्यापक है। क्योंकि, सभी किसान बैंकिंग सिस्टम के जरिए कर्ज नहीं लेते।” नाबार्ड के सर्वे के मुताबिक देश में सिर्फ 36 फीसदी किसान ही बैंकों से लोन लेते हैं। जबकि, कैश ट्रांसफर के जरिए पैसा उन सभी किसानों तक पहुंचेगा जिनके पास खेत है। केंद्र सरकार को उम्मीद है कि कम से कम बीजेपी शासित राज्यों का उसके इस योजना का जबरदस्त समर्थन मिलने वाला है। माना जा रहा है कि इसे पूरी तरह लागू करने में दो माह का वक्त लग जाएगा। लेकिन, कैश ट्रांसफर का ऐलान अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव के दौरान किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि एक फरवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र में वित्त मंत्री अरुण जेटली इस योजना का ऐलान कर सकते हैं।