Cash For Query Case: लोकसभा से निष्काषित सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कैश फॉर क्वेरी मामले में लोकपाल ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ CBI को जांच करने का आदेश दिया। इतना ही नहीं लोकपाल ने सीबीआई को छह महीने में रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया है। दरअसल, निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया था कि महुआ मोइत्रा ने उद्योगपति हीरानंदानी से पैसे लिए और संसद में सवाल पूछे।
निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि आज मेरी शिकायत को सही मानते हुए लोकपाल ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ CBI को जांच करने का आदेश दिया। यानि चंद पैसों के लिए तृणमूल कांग्रेस की पूर्व सांसद ने हीरानंदानी के साथ भ्रष्टाचार व देश की सुरक्षा को गिरवी रखा। उन्होंने सत्यमेव जयते भी लिखा।
निशिकांत दुबे पहले भी कर चुके ऐसे दावे
बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे इस तरह के दावे पहले भी कर चुके हैं। बीते साल नवंबर माह में उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर इसी तरह का दावा किया था। उस समय उन्होंने लिखा था कि लोकपाल ने राष्ट्रीय सुरक्षा को गिरवी रखकर भ्रष्टाचार करने की आरोपी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया। वहीं, मोइत्रा ने उन पर पलटवार करते हुए कहा था कि पीएम मोदी का लोकपाल आज भी अस्तित्व में है और अभी भी सक्रिय है।
कैश फॉर क्वेरी मामले क्या है?
लोकसभा से निष्काषित महुआ मोइत्रा पर बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी के कहने पर संसद में सवाल पूछने का आरोप है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। दुबे ने 15 अक्टूबर को लोकसभा अध्यक्ष को एक पत्र लिखा और उसमें कहा कि महुआ मोइत्रा ने 61 सवालों में से 50 सवाल केवल अडाणी के बारे में ही पूछे। निशिकांत दुबे ने कहा कि महुआ मोइत्रा हीरानंदानी की तरफ से अडाणी पर निशाना साधने के लिए सवाल करती हैं। उन्होंने दावा किया कि हीरानंदानी अलग-अलग जगहों से और ज्यादातर दुबई से सवाल पूछने के लिए मोइत्रा की लॉगइन आईडी का इस्तेमाल करते थे। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने आचार समिति के पास भेज दिया था।