अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बनने से कुछ घंटे पहले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अपने माता-पिता से फोन पर बातचीत की। बातचीत के दौरान शुभांशु शुक्ला के माता-पिता अपने बच्चे के इस कार्य को लेकर जहां उत्साहित थे वहीं उनके अंदर भय भी नजर आ रहा था। उनके पिता शंभू और मां आशा सुबह बुधवार की रात 2:30 बजे ही उठ गईं और प्रक्षेपण के लिए घंटों की उल्टी गिनती करने लगे।

रिटायर्ड सरकारी अधिकारी शंभू ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हमने सुबह में ही करीब 4:00 बजे शुभांशु से बात की और उसने कहा, ‘पापा करके आता हूं। आप चिंता न करें।'” माता-पिता और करीबी रिश्तेदारों ने सिटी मॉन्टेसरी स्कूल द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में प्रक्षेपण देखा। इसी स्कूल में शुभांशु ने पढ़ाई की थी।

शुभांशु के वापसी का बेसब्री से इंतजार

शुभांशु की बड़ी बहन सुचि ने बताया कि उन्होंने फोन पर “थोड़ी देर के लिए, करीब 30 सेकंड तक” बात की। उन्होंने कहा, “उसने कहा कि वह उत्साहित, खुश और स्वस्थ महसूस कर रहा था। हमने उसे उसकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं दीं।” 1984 में राकेश शुक्ला के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले शुभांशु इतिहास के दूसरे भारतीय हैं और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं। वहीं उनकी उसकी माँ ने कहा, “मैं एक सफल मिशन के बाद उसकी वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रही हूँ। लेकिन मैं यह भी जानती हूँ कि धरती पर उतरने के बाद भी उसे हमारे पास आने में कुछ समय लगेगा।”

शुभांशु शुक्ला के बारे में क्या कहते हैं उनके साथी?

शुभांशु का जन्म 1985 में लखनऊ में जन्मे शुक्ला ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 2006 में भारतीय वायु सेना में नियुक्त हुए। उत्कृष्ट लड़ाकू विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक उड़ान के अनुभव के साथ, उन्हें 2019 में भारत के गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए चुना गया और बाद में एक्सिओम मिशन 4 के लिए पायलट के रूप में चुना गया।