निर्वाचन आयोग ने चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशियों और प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारने वाले राजनीतिक दलों के लिए आपराधिक इतिहास को सार्वजनिक करने के लेकर संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं। गाइडलाइंस में निर्वाचन आयोग ने उम्मीदवारों और उनको प्रत्याशी बनाने वाली पार्टियों को भी कुछ निर्देशों का पालन करने को कहा है। बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

निर्वाचन आयोग ने उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि का प्रचार करने के नियमों को कड़ा बनाते हुए शुक्रवार यानी 11 सितंबर 2020 को इसके लिए एक समयसीमा निर्धारित की है। इसमें यह बताया गया है कि चुनाव प्रचार के दौरान कब इस तरह के विज्ञापन प्रकाशित और प्रसारित किए जाने चाहिए। चुनाव आयोग ने अक्टूबर 2018 में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और उन्हें मैदान में उतारने वाले दलों के लिए यह अनिवार्य करने का निर्देश दिया था कि चुनाव प्रचार के दौरान कम से कम तीन बार टीवी और अखबारों में अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि के विज्ञापन प्रकाशित कराएं।

अब चुनाव आयोग ने इसके लिए समयसीमा तय की है। निर्वाचन आयोग ने साफ किया है कि आपराधिक रिकॉर्ड का सबसे पहले प्रचार उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तारीख के शुरुआती चार दिन के भीतर होना चाहिए। इसमें कहा गया कि दूसरा प्रचार नाम वापसी की अंतिम तारीख से पांचवें और आठवें दिन के भीतर होना चाहिए।

आयोग के मुताबिक, तीसरा और अंतिम प्रचार नौवें दिन से लेकर मतदान से दो दिन पहले यानी चुनाव प्रचार के अंतिम दिन तक होना चाहिए। आयोग के एक बयान में कहा गया, ‘यह समयसीमा मतदाताओं को और अधिक सूचित करते हुए उनकी पसंद को चुनने में मदद करेगी।’ निर्वाचन आयोग के मुताबिक, आगामी बिहार विधानसभा चुनाव और आने वाले दिनों में 64 विधानसभा तथा एक लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनावों में किस्मत आजमा रहे प्रत्याशियों को अपने आपराधिक इतिहास के बारे में विज्ञापन करते समय नई समयसीमा का पालन करना होगा।

बता दें कि चुनाव आयोग ने 22 अगस्त को बिहार चुनाव को लेकर कई अहम गाइडलाइंस जारी की थी। इसके मुताबिक, उम्मीदवारों को ऑनलाइन नामांकन और प्रचार के लिए घर-घर जाते समय पांच लोगों से ज्यादा के जमा नहीं होने का निर्देश दिया गया है। मतदान केंद्रों पर कोरोनावायरस से बचाव के सभी उपाय करने का निर्देश दिया गया है। एक बूथ पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या को 1500 से घटाकर 1000 कर दी गई है।