उन्होंने एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग राज्यों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के हिस्से के रूप में राष्ट्रीय कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और आघात रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुसार, 2020 में विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा भारत में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या 13,92,179 थी। यह 2021 में बढ़कर 14,26,447 और 2022 में 14,61,427 हो गई। मांडविया ने कहा कि भारत में कैंसर के कारण अनुमानित मृत्यु दर 2020 में 7,70,230 थी और यह 2021 में बढ़कर 7,89,202 और 2022 में 8,08,558 हो गई।

मंत्री ने कहा कि कैंसर एनपीसीडीसीएस का अभिन्न हिस्सा है और यह कार्यक्रम बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य संवर्धन और कैंसर की रोकथाम के लिए जागरूकता पैदा करने, उसके शीघ्र निदान, प्रबंधन और कैंसर सहित गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के इलाज के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने पर केंद्रित है।

मांडविया ने कहा कि एनएचएम के तहत और व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के एक हिस्से के रूप में सामान्य गैर-संचारी रोगों, यानी मधुमेह, उच्च रक्तचाप और सामान्य कैंसर की रोकथाम, नियंत्रण और जांच के लिए जनसंख्या आधारित पहल भी शुरू की गई है। इस पहल के तहत, 30 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को तीन सामान्य कैंसर – मौखिक, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के लिए उनकी जांच के लिए लक्षित किया गया है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस प्रकार के सामान्य कैंसर की जांच आयुष्मान भारत – स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के तहत सेवा वितरण का एक अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के झज्जर में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान और कोलकाता के चितरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान का दूसरा परिसर भी इस दिशा में उठाए गए कदम हैं। ये सभी देश में कैंसर के उपचार की क्षमता को बढ़ाते हैं।