Canada SDS Programme: कनाडा जाकर पढ़ने की चाहत रखने वाले भारत के छात्र पिछले कुछ दिनों से बेहद परेशान थे। इसकी वजह यह थी कि कनाडा सरकार ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (SDS) प्रोग्राम को खत्म कर दिया था। ऐसा कुल 14 देशों के लिए किया गया था और इनमें भारत का नाम भी शामिल है। लेकिन इसके बाद भी कनाडा में पढ़ाई करने वाले छात्रों को वीजा मिल सकता है।

SDS प्रोग्राम को 2018 में पोस्ट सेकेंडरी डेजिग्नेटिड लर्निंग इंस्टीट्यूशंस (DLI) में दाखिले के लिए लांच किया गया था। ऐसे कॉलेज में बाहर के देशों के छात्र पढ़ते हैं। SDS प्रोग्राम अंतरराष्ट्रीय छात्रों के बीच लोकप्रिय कार्यक्रम था और भारत, चीन, पाकिस्तान, ब्राज़ील, सेनेगल और कई अन्य देशों के छात्रों को इससे फायदा होता था। लेकिन जब अचानक कनाडा ने 8 नवंबर को इसे बंद कर दिया तो निश्चित रूप से भारत के साथ ही अन्य देशों के छात्र भी इस फैसले से निराश हुए।

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रिश्तों में चल रही तनातनी

इन दिनों भारत और कनाडा के बीच जिस तरह के कूटनीतिक रिश्ते चल रहे हैं, उसे लेकर भी कनाडा जाने वाले भारतीयों के मन में कई सवाल हैं। बताना होगा कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में दोनों देश आमने-सामने हैं। दोनों देशों ने अपने-अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया था।

SDS प्रोग्राम में कुछ कठोर शर्तें थी जैसे आपको एक साल की ट्यूशन फीस एडवांस में देनी होती थी और गारंटीड इन्वेस्टमेंट सर्टिफिकेट (GCI) जिसकी कीमत ₹20,635 थी, वह भी फंड के प्रूफ के रूप में देना होता था। लेकिन SDS प्रोग्राम के बंद होने के बाद भी विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि छात्रों को वीजा को लेकर बहुत ज्यादा परेशानी नहीं होगी।

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वीजा के लिए अप्लाई कर सकते हैं?

कनाडा जाने की चाहत रखने वाले स्टूडेंट्स अभी भी वीजा के लिए अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें रेग्युलर नॉन SDS एप्लीकेशन कैटेगरी में अप्लाई करना होगा। इसके तहत छात्रों को 1 साल की पूरी ट्यूशन फीस देने की जरूरत नहीं है बल्कि उन्हें सिर्फ सिर्फ 6 महीने की ही ट्यूशन फीस देनी होगी और यह दिखाना होगा कि उनके पास कनाडा में रहने और वहां के खर्चों के लिए जरूरत के हिसाब से पैसे हैं। यह प्रक्रिया निश्चित रूप से SDS प्रोग्राम से ज्यादा बेहतर है।

पंजाब की एक फर्म में वीजा कंसलटेंट के तौर पर काम करने वाले अमन परमार कहते हैं कि पहले कई ऐसे उम्मीदवार जिनका प्रोफाइल भी अच्छा था, वे एक साल की पूरी फीस नहीं दे पाते थे और इस वजह से उन्हें जर्मनी या यूरोप जाना पड़ता था लेकिन अब उनके लिए कनाडा जाना और वहां पढ़ाई करना ज्यादा आसान हो गया है। परमार कहते हैं कि ऐसा होने से उन छात्रों को बड़ी राहत मिली है जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और जो कनाडा में पढ़ाई करना चाहते हैं। ऐसे छात्र SDS प्रोग्राम के महंगे मानकों को पूरा नहीं कर पा रहे थे।

LOA जरूर ले लें छात्र

परमार ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कनाडा जाने की इच्छा रखने वाले स्टूडेंट्स को अपने एकेडमिक प्रोफाइल के आधार पर कनाडा के किसी अच्छे कॉलेज से लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस (LOA) हासिल कर लेना चाहिए और ट्यूशन फीस देते समय उस राज्य से भी सत्यापन पत्र ले लेना चाहिए जहां वह एजुकेशनल इंस्टिट्यूट स्थित है।

अगर किसी कैंडिडेट का स्कोर अच्छा है तो इससे उसके आवेदन करने पर अच्छा असर पड़ता है। अगर उसकी इंग्लिश अच्छी है तो इससे उस कैंडिडेट का प्रोफाइल ही मजबूत होता है।

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किन बातों का ध्यान रखें स्टूडेंट्स?

स्टूडेंट्स के लिए अब अच्छी बात यह है कि उनके लिए सिर्फ 5 से 6 लाख रुपए ही काफी होंगे जबकि SDS प्रोग्राम में इसका चार गुना पैसा मांगा जाता था। स्टूडेंट्स को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनका एकेडमिक रिकॉर्ड अच्छा हो और उनके पास कनाडा में हायर एजुकेशन के लिए एक बेहतर प्लान हो।

वीजा अफसर ऐसे छात्रों की तलाश कर रहे हैं जो अपनी पढ़ाई को लेकर सीरियस हों और उनके पास कनाडा में प्रोफेशनल सफलता हासिल करने के लिए कोई मजबूत प्लान हो। कनाडा ने कहा है कि वह 2027 तक सालाना 3,05,000 विदेशी छात्रों को स्टडी वीजा देगा। अगर कोई छात्र स्टडी परमिट कोटा वाले किसी अच्छे संस्थान में आवेदन करता है और उसके पास LOA (Letter of Acceptance) है तो उसका आवेदन स्वीकार किया जा सकता है।

जबकि SDS प्रोग्राम में अगर स्टूडेंट का प्रोफाइल बेहतर नहीं होता था तो उन्हें दरकिनार कर दिया जाता था। इसलिए स्टूडेंट्स को अगर उनकी एजुकेशन बैकग्राउंड कमजोर है तो इस बारे में एक बेहतर जवाब के साथ तैयार रहना चाहिए।