संसद की पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (PAC) के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में चौधरी ने लोकसभा स्पीकर से इस माह के अंत में सदन के एक पैनल के लद्दाख जाने की इजाजत मांगी है। दरअसल लद्दाख जाकर लोकसभा का यह पैनल सीमा पर तैनात सैनिकों से मिलना चाहता है और उनके काम करने की परिस्थिति को समझना चाहता है।

पीएसी अध्यक्ष का यह पत्र ऐसे वक्त लिखा गया है, जब इस साल की शुरुआत में कैग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि सियाचिन और लद्दाख में तैनात सैनिकों को ठंड के कपड़े और अन्य सामान की भारी कमी है। इस कमी की वजह खरीद में देरी को बताया गया था। बता दें कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत पहले ही दो बार पीएसी के सामने पेश हो चुके हैं।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, कैग रिपोर्ट में बताया गया था कि वित्त वर्ष 2015-16 और 2017-18 की अवधि के दौरान हुए ऑडिट में पता चला कि ऊंचाई वाले और ठंडे स्थानों पर सैनिकों की तैनाती के लिए जरूरी कपड़ों और उपकरणों की खरीद में चार साल तक की देरी हुई। जिसके चलते इनकी भारी कमी हुई। बर्फ में लगाए जाने वाले चश्मों की भी बेहद कमी रही।

बता दें कि भारत और चीन के बीच बीते कई माह से एलएसी पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। बातचीत के दौर जारी हैं लेकिन अभी तक स्थिति सामान्य नहीं हो सकी है और चीन की तरफ से लगातार युद्ध की तैयारियां की जा रही हैं। वहीं भारत की तरफ से भी चीन का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हथियारों और बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की गई है।

हालात को देखते हुए माना जा रहा है कि भारत और चीन के सैनिक ठंड के मौसम में भी यहां तैनात रह सकते हैं। अब चूंकि लद्दाख की गलवान घाटी में ठंड के दिनों में तापमान माइनस से भी 30-40 डिग्री नीचे चला जाता है तो ऐसे में हाई एल्टीट्यूड पर इस्तेमाल होने वाले गर्म कपड़े और अन्य उपकरणों की आवश्यकता होगी। जिसे पर्याप्त मात्रा में जुटाना एक चुनौती होगी।

चीन की सेना लॉजिस्टिक के मामले में भारत से काफी आगे है। यही वजह है कि अब देखने वाली बात होगी कि हम अपने सैनिकों को पर्याप्त मात्रा में लॉजिस्टिक सेवा मुहैया करा सकते हैं या नहीं, क्योंकि चीन भी इसी ताक में है कि ठंड के दिनों में हमारे सैनिक लद्दाख में कैसे सीमा की रक्षा करते हैं।