Citizenship Amendment Act: लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला लिया। केंद्र द्वारा 2019 में पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम या सीएए पूरे देश में लागू कर दिया गया है। इस कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश जैसे मुस्लिम बहुल देशों से हिंदू, सिख, पारसी, ईसाई, जैन, बौद्ध यानी गैर-मुस्लिम और अन्य मुस्लिम समुदाय केंद्र सरकार द्वारा 2019 में लाए गए नागरिकता संशोधन अधिनियम के आधार पर भारत में शरण लेते हैं। तो उन्हें बहुत आसानी से भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक प्रेस फॉन्फ्रेंस करने वाले हैं।
वहीं, सीएए पर कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि यह पुराना कानून था और इसे आदर्श आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले लाया गया है। मुझे खुशी होती अगर सरकार एमएसपी पर कानून लाती या रोजगार से जुड़ा कानून लाती। हमने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया होता। हम लोगों के हित में किए गए किसी भी काम का स्वागत करते हैं, चाहे सरकार किसी की भी हो। लेकिन यह सरकार के द्वारा ध्रुवीकरण करने की कोशिश है।
लोकसभा चुनाव देशभक्त बनाम नफरत करने वालों के बीच होने जा रहा- उद्धव ठाकरे
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और शिवसेना (UBT) चीफ प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि देश में नया कानून सीएए लाया गया है। यह सिर्फ एक चुनावी हथकंडा है। जब मैं सीएम था, तो वे (BJP) देश में सीएए और एनआरसी का भूत लेकर आए। उस समय लोगों के मन में डर पैदा हो गया, खासकर असम के लोगों के मन में। इस कानून के खिलाफ कोर्ट में कई याचिकाएं हैं। अभी कोर्ट का फैसला नहीं आया है, लेकिन उन्होंने CAA का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
वे धर्मों के बीच भेदभाव पैदा कर झगड़े और दंगे कराना चाहते हैं। आने वाले चुनाव में एक तरफ बीजेपी है जो धर्मों के बीच नफरत पैदा कर रही है और दूसरी तरफ देशभक्त इंडिया गठबंधन है। यह चुनाव देशभक्त बनाम नफरत करने वालों के बीच होने जा रहा है। अगर आप विदेशों से हिंदुओं को हमारे यहां लाना चाहते हैं तो पहले कश्मीरी पंडितों को वापस लाओ और फिर सीएए लाओ।
कानून हमारे संविधान के मुताबिक नहीं- त्रिपुरा के एलओपी जितेंद्र चौधरी
त्रिपुरा के एलओपी और सीपीआईएम नेता जितेंद्र चौधरी ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर कहा कि पूरा देश सीएए के खिलाफ है। इसे 2019 में पारित किया गया था लेकिन पिछले 4 सालों से पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह इसे लागू नहीं कर सके। देश का युवा इसके खिलाफ है। उन्होंने आगे कहा कि यह कानून हमारे संविधान के मुताबिक नहीं है। हमारा संविधान सभी को समान अधिकार देता है। ये अधिकार धर्म के आधार पर नहीं दिए जाते। हालांकि कानून कहता है कि मुसलमानों को छोड़कर सभी को नागरिकता दी जाएगी। यह देश की धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है।
हरीश साल्वे ने नागरिकता कानून पर क्या कहा
नागरिकता कानून के विरोध पर वकील हरीश साल्वे ने कहा कि इसका मतलब नहीं बनता कि आपको प्रताड़ित लोगों के एक वर्ग को नागरिकता देने के लिए पूरी दुनिया के लोगों को शामिल कर लें। साथ ही, साल्वे ने कहा कि ब्रिटेन ने शरणार्थियों के लिए दरवाजे खोले थे और आज वह उससे परेशान है। ब्रिटेन का इमिग्रेशन सिस्टम तबाह हो रहा है। लंदन का बुनियादी ढांचा जर्जर हालत में है। हरीश साल्वे ने आगे कहा कि हमारे पास इतने संसाधन नहीं है कि हम पूरी दुनिया की मदद कर सके। जब सरकार यसीसी की बात करती है तो आप कहते हैं कि हर किसी के साथ एक जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता, लेकिन नागरिकता कानून पर इसके बिल्कुल विपरीत बोलते हैं।