CAA Protest: उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हिसंक रुप ले चुका है। पुलिस गोलीबारी में मोहम्मद सुलेमान (20) की मौत हो गई है। इस घटना के बिजनौर में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने पुष्टि की है कि सुलेमान की मौत “कांस्टेबल मोहित कुमार” की रिवाल्वर की गोली से हुई। इसकी पुष्टी सुलेमान के शरीर से प्राप्त बुलेट के बैलिस्टिक रिपोर्ट से हुई है। बिजनौर के पुलिस अधीक्षक संजीव त्यागी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि मोहित कुमार की सर्विस पिस्टल से शूट किया गया था। मोहित कुमार को भी गोली लगी है। मोहित के पेट से निकली गोली देसी हथियार से शूट किया गया था।
मोहित की हालत गंभीर: बता दें कि सुलेमान अपने स्नातक के अंतिम वर्ष का पढ़ाई कर रहा था और साथ ही अपने मामा अनवर उस्मानी के यहां नोएडा में रह कर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहा था। तेज बुखार होने के कारण वह अपने घर नेहटौर आया था। मोहित कुमार बिजनौर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) से जुड़े हुए है। सुरक्षा व्यवस्था के लिए शुक्रवार (20 दिसंबर) को उन्हें नेहटौर थाना क्षेत्र में तैनात किया गया था। फिलहाल बिजनौर के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों ने कहा कि उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
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35 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज: पिछले शुक्रवार (20 दिसबंर) को हुई हिंसा में 20 पुलिसकर्मियों सहित 26 लोग घायल हुए थे। जबकि 21 वर्षीय सुलेमान और एक अन्य व्यक्ति अनस की मौत हो गई थी। मोहित कुमार और तीन अन्य पुलिसकर्मी जिनमें राजेश सिंह सोलंकी, स्टेशन हाउस अधिकारी गोली लगने से घायल हो गए है। नेहटौर पुलिस स्टेशन ने शुक्रवार की घटनाओं के आधार पर तीन एफआईआर दर्ज किए हैं, जिसमें 35 व्यक्तियों का नाम शामिल है और कई अन्य अज्ञात हैं।
देसी पिस्टल से चलाई थी गोली: त्यागी ने कहा कि पुलिस की शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, भीड़ ने विरोध प्रदर्शन के दौरान एक सब-इंस्पेक्टर आशीष की सर्विस पिस्टल छीन ली। इसके बाद कांस्टेबल मोहित कुमार सहित कुछ पुलिसकर्मियों ने भीड़ का पीछा किया। जब मोहित सुलेमान के करीब गया तो उसने देसी पिस्तौल से गोली चला दी। इसकी एक गोली मोहित के पेट में लगी। इसके जवाब में मोहित ने भी अपनी सर्विस पिस्टल से फायर किया और गोली सुलेमान के पेट में लगी।
आत्मरक्षा में चलाई थी गोली: हालांकि, पुलिस को सुलेमान के पास से कोई हथियार नहीं मिला है। न ही पुलिस आशीष की सर्विस पिस्टल का अभी तक पता लगा पाई है। पुलिस ने अन्य पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किए है और फिर मौके पर मौजूद स्थानीय निवासियों से बात कर इसका सत्यापन किया है। पुलिस के शुरूआती जांच में यह साफ है कि मोहित ने सुलेमान को आत्मरक्षा में गोली मारी है। इस मामले की जांच अभी चल रही है। ऐसा त्यागी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है।
शव लेनें की अनुमति नहीं थी: जबकि सुलेमान के परिवार का कहना है कि जब उसे पुलिस ने उठाया तो वह एक मस्जिद से नमाज अदा करने के बाद वापस लौट रहा था। पुलिस उठाने के बाद उसे एक मदरसे के पास गली में ले गई और गोली मार दी। सुलेमान के मामा उस्मानी ने दावा किया है कि उन्हें शव लेने की अनुमति नहीं थी। पुलिस इसे पोस्टमार्टम के लिए सीधे बिजनौर ले गई। जब परिवार बिजनौर पहुंचा, तो उन्हें वापस भेज दिया गया और अगली सुबह 11 बजे फिर उन्हे शव लेने के लिए बुलाया गया।
मामला दर्ज करने के लिए की शिकायत: सुलेमान के बड़े भाई शोएब मलिक ने कहा कि उन्होंने सोमवार (23 दिसंबर) को एसपी संजीव त्यागी और मुरादाबाद रेंज के महानिरीक्षक रामित शर्मा को शिकायत दर्ज कराई कि उनके भाई की हत्या की प्राथमिकी दर्ज की जाए। पुलिस ने कहा कि उन्हें अभी शिकायत नहीं मिली है। त्यागी ने कहा, “अगर सुलेमान के परिवार ने शिकायत दर्ज की है, तो हम इस मामले को कानूनी रूप से देखेंगे।”
अनस को पुलिस ने मारी गोली: हिंसा में मरने वाले 20 वर्षीय अनस के परिवार ने कहा कि वह अपने सात महीने के बेटे के लिए दूध लेने के लिए बाहर निकले थे, जब पुलिस ने उन्हें सौ मीटर से अधिक दूर से गोली मार दी। वह अरशद हुसैन एक दर्जी का सबसे बड़ा बेटा था और स्थानीय कार्यक्रमों में कैटरर्स के साथ कॉफी और जूस बनाने का काम करता था। वहीं हिंसा में मारे गए 20 वर्षीय अनस के परिवार ने कहा कि वह अपने सात महीने के बेटे के लिए दुध लेने के लिए निकला हुआ था। पुलिस ने उसे सौ मीटर से गोली मार दी। अनस के पिता का नाम अरशद हुसैन जो दर्जी का काम करते है। अनस स्थानिय कार्यक्रमों में कैटरर्स के साथ कॉफी और जूस बनाने काम करता था।
घर के पास मारी गई गोली: रिसालत हुसैन (अरशद हुसैन के भाई) के अनुसार, उनके भतीजे अनस को उनके घर के सामने लगभग 3:30 बजे गोली मारी गई थी। उन्होंने कहा कि जहां अनस को गोली मारा गया था वहां किसी भी प्रकार का विरोध प्रदर्शन नहीं हो रहा था। उन्होंने आरोप लगाया है कि पुलिस उन्हें यह लिखने के लिए मजबूर कर रही थी कि अनस विरोध प्रदर्शन में शामिल था। बता दें कि अनस और सुलेमान दोनों को शनिवार (21 दिसंबर) को नेहटौर से 20 किलोमीटर दूर गांवों में दफनाया गया है।