सीएए के खिलाफ एक रैली में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाने वाली छात्रा अमूल्या लियोना की जमानत याचिका एक सेशन कोर्ट द्वारा खारिज करने के अगले दिन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उसे ‘डिफॉल्ट बेल’ दे दी। कोर्ट ने राज्य द्वारा निर्धारित समय के भीतर लियोना के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने में विफल रहने के बाद ये फैसला दिया है। लियोना को फरवरी में गिरफ्तार किया गया और उसकी गिरफ्तारी के 90 दिनों के भीतर यानी 20 मई तक बेंगलुरु पुलिस उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई। पुलिस ने तीन जून को छात्रा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

दरअसल तय वक्त के भीतर आरोपी छात्रा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं होने पर उसके वकीलों ने सीआरपीसी की धारा 167 (2) के तहत कोर्ट में याचिका दाखिल की। जिसके तहत पुलिस को दिए गए 60/90 दिनों के भीतर अगर किसी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की जाती है तो वो जमानत के हकदार होंगे। अमूल्या की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्य के पूर्व सरकारी वकील बीटी वेंकटेश ने कहा कि मैंने सुना है कि जमानत मिल गई है, हालांकि मुझे अभी तक कोर्ट के आदेश की कॉपी नहीं मिली है।

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कार्यकर्ता और कॉलेज छात्रा अमूल्या ने हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई फेडरशन द्वारा 20 फरवरी को आयोजित संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ विरोध सभा के दौरान पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाये थे। मौके पर मौजूद ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख एवं हैदराबाद से पार्टी के सांसद असदु्दीन ओवैसी ने अमूल्या को पाकिस्तान का समर्थन करने वाला नारा दोहराने से रोकने की कोशिश की थी।

इस नाटकीय घटना के चलते ओवैसी और रैली के आयोजकों को र्शिमंगदी का सामना करना पड़ा था। यह घटना उस वक्त हुई थी, जब अमूल्या को ‘हमारा संविधान बचाओ’ के बैनर तले सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में एकत्र लोगों को संबोधित करने के लिये मंच पर बुलाया गया था। अमूल्या को तब कर्नाटक पुलिस ने गिरफ्तार करने के बाद यहां मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया था, जिन्होंने उसे देशद्रोह के आरोप में 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।