जामिया के छात्रों ने आज सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ संसद भवन तक मार्च का आयोजन किया। पुलिस ने जामिया छात्रों के इस मार्च को ओखला में होली फैमिली हॉस्पिटल के नजदीक ही रोक दिया। हालांकि इस दौरान सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई। कुछ छात्राओं ने पुलिस पर बुर्का उतारकर लाठियों से पीटने का आरोप लगाया है।
अस्पताल में इलाज करा रही एक छात्रा ने इंडिया टीवी से बातचीत में बताया कि ‘एक महिला पुलिसकर्मी ने उसका बुर्का खींचकर उतार दिया और उस पर लाठी से हमला किया।’
एक अन्य छात्र ने बताया कि पुलिसकर्मियों ने उनके शरीर के निचले हिस्से को निशाना बनाया, ताकि कैमरे इसे कैद ना कर सकें। छात्र के अनुसार, पुलिसकर्मियों ने उन्हें बड़ी तेज धक्के दिए, जिसके चलते वहां भगदड़ के जैसे हालात बन गए थे।
छात्रों ने पुलिस पर महिलाओं को भी पीटने का आरोप लगाया। छात्रों ने बताया कि वह पुलिस से प्रदर्शन करने देने की मांग कर रहे थे, लेकिन पुलिसकर्मी उन्हें धक्का दे रहे थे।
झड़प में घायलों को अल-शिफ़ा अस्पताल में ही भर्ती कराया गया है। इंडिया टुडे ने अल-शिफ़ा अस्पताल के अधिकारियों से भी बात की, जिन्होंने बताया कि कम से कम 9 लोग झड़प के दौरान घायल हुए हैं। घायलों में 8 जामिया के छात्र हैं, जबकि एक स्थानीय निवासी है। अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि एक छात्र गंभीर रूप से घायल हुआ है और उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, अभी भी प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी मौके पर डटे हुए हैं। 200 प्रदर्शनकारी बैरीकेड के पास मौजूद हैं और उन्हें धक्का देकर हटाने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं पुलिसकर्मी उन्हें रोकने में जुटे हैं।
बता दें कि जामिया के छात्रों और अल्युमनी का संगठन जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी (JCC) इस मार्च का नेतृत्व कर रहा है। वहीं पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों के पास संसद भवन तक मार्च करने की इजाजत नहीं है।
प्रदर्शनकारी नारेबाजी कर रहे हैं। जिनमें “कागज नहीं दिखाएंगे” और “जब नहीं डरे हम गौरों से, तो क्यूं डरे हम औरों से”, जैसे नारे प्रमुख हैं। जामिया यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर वसीम अहमद ने भी छात्रों से मार्च खत्म करने और वापस लौटने की अपील की है। हालांकि प्रदर्शनकारी अपनी बात पर अड़े हैं।