रतीय वायुसेना के सेवानिवृत्त विंग कमांडर आदर्श बल ने भारतीय वायुसेना के पाकिस्तान अधिगृहीत कश्मीर पर आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने की कारवाई को बेहद सफल बताया। उन्होंने भारतीय वायुसेना के जांबाज पायलटों और अफसरों की तारीफ करते हुए कहा कि हमारी वायुसेना ने आतंकी शिविरों पर हमला किया। उन्होंने बताया कि भारतीय वायुसेना ने इस ऑपरेशन को इतनी सूझबूझ से अंजाम दिया कि हमारे लड़ाकू विमान राडार में नहीं आए और न ही आबादी वाले क्षेत्रों में बम बरसाए गए। केवल उन्हीं क्षेत्रों में बमबारी की गई, जिन स्थानों पर आतंकियों के शिविर बने हुए थे। साथ ही हमारी वायुसेना ने गाइडेड बमों का चयन किया, जो अचूक निशाने वाले होते हैं।
भारतीय वायुसेना में अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाइयों को सफलतापूर्वक अंजाम देना वायुसेना के लिए चुनौती भरा काम होता है। लेकिन ऐसी चुनौतियों से निपटना भारतीय सेना को बखूबी आता है। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तब भी भारत ने पाकिस्तान की हालत खस्ता कर दी थी। कराची में बम गिराकर भारतीय वायुसेना के पायलटों ने कराची की रिफाइनरी को तहस-नहस कर दिया था।
बल कहते हैं कि हमें आतंकियों के ठिकाने पर हमला एक दो दिन पहले ही कर देना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना ने इस सफल अभियान की रणनीति बहुत ही बेहतरीन बनाई। साथ ही उन्होंने भारतीय सेना व सशस्त्र बलों तथा केंद्र सरकार को आगाह करते हुए कहा कि अभी हमें चौकन्ना रहने की जरूरत है। पाकिस्तान की हिम्मत हमारे ऊपर सीधा हमला करने की नहीं होगी। परंतु पाकिस्तान उसके देश में पल रहे आतंकियों की गतिविधियों को और सक्रिय करने की चाल चलेगा और जम्मू कश्मीर में अब आतंकियों की गतिविधियां और अधिक बढ़ने की संभावनाएं हैं। 1971 के भारत-पाक युद्ध की चर्चा करते हुए बल कहते हैं कि तब से अब तक वायुसेना की स्थिति बिल्कुल बदल गई है। अब तकनीक भी बहुत अत्याधुनिक हो गई है। भारत-पाकिस्तान दोनों देशों की सेनाएं बहुत ज्यादा आगे बढ़ चुकी हैं। हमारे और पाकिस्तान के पास कई अत्याधुनिक लड़ाकू विमान हैं। भारत की वायुसेना विश्व की सर्वश्रेष्ठ वायुसेनाओं में से एक मानी जाती है।
सेवानिवृत्त विंग कमांडर बल भारतीय वायुसेना में नेशनल डिफेंस एकेडमी खडकवासला से 1959 में पासआउट होकर अफसर के रूप में शामिल हुए थे। 1955 में उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी में दाखिला लिया था और चार साल के कठिन प्रशिक्षण के बाद वे भारतीय वायुसेना के पायलट बने और 1972 में उन्हें रायल एअरफोर्स ब्रिटेन ने सर्वश्रेष्ठ पायलट के सम्मान से नवाजा। 1961 में गोआ मुक्ति संग्राम, 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध में उन्होंने लड़ाकू विमानों को बेहतरीन तरीके से उड़ाया और दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए थे। 1962 की भारत चीन लड़ाई में भी उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1990 में भारतीय वायुसेना से विंग कमांडर के रूप में सेवानिवृत हुए।
