पांच सौ और एक हजार के नोटों पर रोक लगने से बुधवार को दिल्ली के थोक बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा। दिनभर व्यापारी खाली बैठे रहे। जिन थोक बाजारों से एक ही दिन में करोड़ों रुपए का कारोबार होता है, वहां व्यापारी दिन भर अन्य राज्यों से व दिल्ली के व्यापारियों का इंतजार करते रहे। दिल्ली के ज्यादातर थोक व्यापारियों का मानना है कि आगामी पंद्रह दिनों तक बाजार के इसी तरह से रहने की संभावना है। दिल्ली के बाजारों में अफरातफरी और असमंजस की स्थिति रही। व्यापारियों का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से कालेधन को बाहर लाने के फैसले का तो वे स्वागत करते हैं, लेकिन सरकार को यह कदम उठाने से पहले कोई न कोई ऐसा कदम जरूर उठाना चाहिए था, जिससे कारोबारी का धंधा प्रभावित न होता। दिल्ली के सदर बाजार और चांदनी चौक में पुराने व कटे-फटे नोटों को बदलने का धंधा करने वाले कई दुकानदारों पर 500 व एक हजार रुपए के नोट कम कीमत पर बेचने के भी आरोप सामने आए हैं।

प्रधानमंत्री के एलान के बाद ही कारोबारी अपने-अपने संगठनों के प्रमुखों को फोन करके बुधवार को खुलने वाले बाजारों में उनकी ओर से उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी लेने लगे। सरकार के इस कदम से व्यापारी एसोसिएशनों के नेताओं को भी समझ नहीं आया, कि वे कारोबारियों को क्या सलाह दें। राजधानी में रोजाना देश के अलग-अलग राज्यों से करीब दो लाख व्यापारी थोक बाजारों में अपना धंधा करने आते हैं। बुधवार को व्यापारियों ने आम दिनों की तरह अपनी दुकानें खोलीं। दोपहर करीब एक बजे तक ज्यादातर बाजारों में खरीदार गायब रहे। दोपहर बाद कोई स्थानीय खरीदार आया भी, तो उनमें से ज्यादातर पांच सौ व एक हजार रुपए के नोट थे। जिन स्थानीय व्यापारियों को कारोबारी जानते थे, उनमें से ज्यादातर क ो थोक व्यापारियों ने उधार सामान दे दिया।

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राजधानी में कपड़ा व्यापारियों की सबसे बड़ी संस्था दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश बिंदल ने कहा कि अन्य राज्यों से आने वाले व्यापारी बुधवार को बाजार में नहीं आए। कपड़ा बाजार में स्थानीय खरीदार आते हैं, उनके पास भी पांच सौ या फिर हजार के नोट ही होते हैं। बिंदल ने बताया कि जिन स्थानीय खरीदारों को कारोबारी जानता है, उसे उसने उधार सामान बेच दिया। अन्य खरीदारों को मायूस ही लौटना पड़ा। कश्मीरी गेट स्थित मोटर पार्ट्स मार्किट एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र मदान ने कहा कि उनके बाजार के लिए बुधवार को काला दिन रहा।