Budget Session 2025: बजट सेशन शुरू होने जा रहा है, शुक्रवार से शुरू होने वाला बजट सेशन मोदी सरकार के लिए काफी अहम है। असल में इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों से जूझ रही है, रुपया लगातार डॉलर के मुकाबले कमजोर होता जा रहा है, विकास दर में भी गिरावट देखने को मिली है। इसके ऊपर कई दूसरे मोर्चों पर भी बहुत सकारात्मक रुझान नहीं देखने को मिल रहे हैं।
मोदी सरकार के सामने क्या चुनौतियां?
इसी वजह से जानकार मान रहे हैं कि इस बार का बजट सेशन काफी हंगामेदार होने वाला है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एक भाजपा नेता ने बोला कि जुलाई में जो बजट पेश किया गया था, वो काफी हड़बड़ी वाला था, वही बात जब 2014 की आती है तब तो लोगों की उम्मीद ही कम थी और 2019 में बदलाव की उम्मीद की वजह से लोगों की इतनी नजर नहीं पड़ी। लेकिन इस बार जब बजट पेश किया जाएगा तो मार्केट में काफी ज्यादा उथल-पुथल चल रही है, रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार गिरता जा रहा है।
बीजेपी किस नेरेटिव से लड़ रही है?
भाजपा नेता ने अपनी बात आगे बढ़ते हुए बोला कि अर्थव्यवस्था धीमी पड़ने का जो नेरेटिव सेट हो चुका है, उससे बाहर निकलना बहुत जरूरी है। पीएम मोदी की जो इमेज बनी हुई है कि वे विकास करके दिखाते हैं, उसका मेंटेन रहना बहुत जरूरी है। वैसे एक तरफ अगर बीजेपी और मोदी सरकार के सामने इस बजट सेशन में कई चुनौतियां हैं तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष अपने लिए उतने ही अवसर भी देख रहा है।
कांग्रेस किन मुद्दों को उठाएगी?
कांग्रेस व्हिप मणिकम टैगोर ने तो जोर देकर बोला है कि महाकुंभ में जो भगदड़ देखने को मिली है, उसने उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार को पूरी तरह एक्सपोज कर दिया है। वह इस मोर्चे पर फेल हुए हैं, इसके अलावा ऐसा माना जा रहा है कि राहुल गांधी एक बार फिर गौतम अडानी और भाजपा द्वारा मिलने वाले फायदे का मुद्दा उठा सकते हैं। इसके अलावा माना जा रहा है कि विपक्ष को इस बार धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था जैसा मुद्दा भी मिलने वाला है। इसके ऊपर क्योंकि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बन चुके हैं, तो उस वजह से भी वीजा के नियमों में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं, इन सभी मुद्दों को विपक्ष पुरजोर तरीके से मोदी सरकार के सामने उठा सकता है।
सरकार की कौन सी विफलताएं बनेंगी अवसर?
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने तो जोर देकर बोला है कि 2019 में मोदी सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स कम करने की कोशिश की थी, तब तर्क दिया गया थ कि प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को बढ़ाया जाए। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि उनकी वो रणनीति पूरी तरह विफल रही, प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में कोई बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली।
वैसे माना तो यह भी जा रहा है कि इस बार के बजट में अगर शिक्षा, स्वास्थ्य और दूसरे ऐसे क्षेत्रों पर सरकार ने ज्यादा खर्च नहीं बढ़ाया तो विपक्ष इसे भी एक बड़ा मुद्दा बनाएगी। इस बारे में कांग्रेस नेता टैगोर ने दो टूक कहा है कि सोशल सिक्योरिटी प्रोग्राम पर सरकार ने जो पैसा खर्च किया है, उसमें लगातार गिरावट देखने को मिली है। 2019 से ही हर बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसी योजनाओं पर पैसा कम खर्च किया जा रहा है। बजट की हर खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें