प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेड इन इंडिया पहल के तहत भारत संचार निगम लिमिटेड ( Bharat Sanchar Nigam Limited : BSNL) जल्द ही स्वदेसी 4जी नेटवर्क्स लेकर आने वाला है। केंद्रीय कैबिनेट ने इसके दो हजार से अधिक साइट्स को मंजूरी भी दे दी है। यह जानकारी शुक्रवार (29 अप्रैल, 2022) को केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री अश्विनी वैष्णव की ओर से दी गई।

उन्होंने बताया, “बीएसएनएल आने वाले कुछ हफ्तों में स्वदेसी 4जी नेटवर्क की शुरुआत करेगा। समूचे भारत भर में इसके लिए 2,343 साइट्स की पहचान की गई है, जबकि इस काम के लिए कैबिनेट ने उन्हें अनुमति भी दे दी है।”

बताया गया कि यह 4जी टेलीकॉम नेटवर्क भारती इंजीनियर और वैज्ञानिक विकसित कर रहे हैं। इस स्वदेशी 4जी नेटवर्क को लाने की योजना के तहत बीएसएनएल पूरे भारत में 1.12 लाख से अधिक टावर लगाएगा। सरकार ने इसके लिए 45,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। केंद्रीय मंत्री ने लोकसभा को बताया था, “स्वदेसी 4जी दूरसंचार नेटवर्क जल्द ही पूरे भारत में शुरू किया जाएगा, जिसमें बीएसएनएल देश भर में लगभग 1.12 लाख टावर स्थापित करने की योजना बना रहा है।”

वैसे, टेलीकॉम मंत्री ने पिछले महीने कहा था कि भारत का स्वदेशी 4जी मोबाइल नेटवर्क कम से कम समय में तैयार किया गया था। उन्होंने इसके साथ ही यह भी जानकारी दी थी कि 5जी नेटवर्क 2022 के अंत तक तैयार हो जाएगा।

बकौल वैष्णव, “मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि 4G दूरसंचार नेटवर्क जल्द ही शुरू होने के लिए तैयार है और इसे भारत में भारतीय इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की ओर से विकसित किया गया है। 4जी नेटवर्क के हमारे विकास की दुनिया भर में सराहना हो रही है और इसमें एक कोर नेटवर्क, संपूर्ण दूरसंचार उपकरणों के साथ रेडियो नेटवर्क है।”

वैष्णव ने कहा था कि दूरसंचार सेवा प्रदाता मोबाइल टावरों पर स्थापित अपने बेस ट्रांसीवर स्टेशनों (बीटीएस) को फाइबराइज करते हैं और एक फरवरी, 2022 तक देश में 7,93,551 बीटीएस को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा गया है।

27.5-28.5 GHz के स्पेक्ट्रम को उपग्रह सेवाओं के लिए रख सकती है सरकार: इस बीच, सरकार 27.5-28.5 गीगाहर्ट्ज फ्रिक्वेंसी के स्पेक्ट्रम की नीलामी संभवत: नहीं करेगी। वह इस बैंड को उपग्रह सेवाओं के लिए रखेगी। समाचार एजेंसी पीटीआई को दो आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दूरसंचार विभाग सिर्फ 27.5 गीगाहर्ट्ज तक के स्पेक्ट्रम की नीलामी पर विचार कर रहा है क्योंकि दोनों सेवाओं के बीच इसे बांटना कठिन होगा।

दूरसंचार विभाग के एक सीनियर अफसर ने कहा कि विभाग में अभी कई तरह की बातों पर विचार चल रहा है और अभी तक कुछ भी तय नहीं है। दरअसल, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने इस फ्रिक्वेंसी बैंड के लिए आधार मूल्य की सिफारिश की है। साथ ही सुझाव दिया है कि इसका इस्तेमाल मोबाइल के साथ उपग्रह सेवाओं के लिए भी किया जा सकता है।