सरकार, संकट से घिरी सरकारी दूरसंचार कंपनियों BSNL और MTNL को करीब 74,000 करोड़ रुपए का बेलआउट पैकेज देने पर विचार कर रही है। इस बेलआउट पैकेज का इस्तेमाल कंपनी के हजारों कर्मचारियों के जल्द रिटायरमेंट प्लान, वीआरएस पैकेज, 4जी स्पेक्ट्रम और कंपनियों के पूंजीगत व्यय को बढ़ाने में किया जाएगा। बता दें कि वित्तीय वर्ष 2019 में बीएसएनएल देश की सबसे ज्यादा घाटा सहने वाली सरकारी कंपनी रही। कंपनी को वित्तीय वर्ष 2019 में अनुमानतः 13,804 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। वहीं एमटीएनएल को इस वित्तीय वर्ष में 3,398 करोड़ का घाटा हुआ और एमटीएनएल घाटा सहने वाली सरकारी कंपनियों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर रही। इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर एयर इंडिया का नाम आता है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों का कहना है कि कैबिनेट नोट का ड्राफ्ट जारी किया गया है। जिसमें बताया गया है कि बेलआउट पैकेज में से कंपनी के कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र घटाने की प्रक्रिया में 10,993 करोड़ रुपए, कर्मचारियों के वीआरएस प्लान के लिए 29,182 करोड़ रुपए, कंपनी की 4जी सेवाओं के लिए 20,410 करोड़ रुपए और कंपनी में पूंजीगत व्यय की मद में 13,202 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। सरकार, कंपनी में रिटायरमेंट की उम्र 60 साल से घटाकर 58 साल करने पर विचार कर रही है। उल्लेखनीय है कि पहले दूरसंचार की इन दिग्गज कंपनियों को बंद करने पर भी विचार हुआ था, लेकिन टेलीकॉम विभाग के अनुसार, यह कदम सही नहीं कहा जा सकता क्योंकि इससे 1.2 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होने की संभावना थी।

इसके साथ ही यदि इन कंपनियों को बेचने की कोशिश की जाती तो संभव है कि घाटे में चल रही इन कंपनियों को खरीदने के लिए खरीददार भी ना मिलते। यही वजह है कि आखिरकार सरकार ने दूरसंचार की इन सरकारी कंपनियों को घाटे से उबारने के लिए बेलआउट पैकेज देने का फैसला किया है। खबर के अनुसार, बीएसएनएल और एमटीएनएल खराब मैनेजमेंट, उच्च स्टाफ खर्च, नई तकनीक के मामले में पिछड़ने और कई मौकों पर सरकार के दखल के चलते टेलीकॉम सेक्टर में जारी प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रही हैं। इन सरकारी कंपनियों का औसत राजस्व प्रति ग्राहक सिर्फ 38 रुपए है, जबकि निजी कंपनियों का यह आंकड़ा 70 रुपए है।