अर्द्धसैनिक बल बीएसएफ के प्रमुख के के शर्मा ने कहा कि बीएसएफ के रसोईघर में बनने वाला खाना हमेशा से अच्छा होता है और कोई भी बिना किसी पूर्व सूचना के इसकी चौकियों पर आकर इनकी गुणवत्ता की जांच कर सकता है। शर्मा ने आरोप लगाया कि जवानों को हतोत्साहित करने के लिये आईएसआई ने ही एक जवान के उस कथित वीडियो का इस्तेमाल किया जिसमें वह जवानों को खराब खाना परोसे जाने का आरोप लगाता दिख रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं वर्ष 2012 में बीएसएफ में (बतौर अतिरिक्त डीजी) शामिल हुआ था। किसी ने भी (जवानों या अधिकारियों ने) भोजन के बारे में शिकायत नहीं की, तबादले या तैनाती को लेकर मुद्दे हो सकते हैं। इसलिए मैं बेहद हैरान था जब इस व्यक्ति (तेज बहादुर यादव) ने एक वीडियो (खराब खाने का आरोप लगाते हुए) अपलोड किया।’’
डीजी ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘हमारे पास बलों में पहले से ही बेहद स्वस्थ प्रणालियां है। हम लोग अपने रसोईघरों में बनने वाले भोजन की लगातार जांच करते हैं। भोजन की कोई समस्या ही नहीं है।’’ इसके बाद उन्होंने खुली चुनौती देते हुए कहा, ‘‘कोई व्यक्ति कभी भी किसी दिन बीएसएफ की किसी भी सीमा चौकी पर जा सकता है और खाने को लेकर पूछ सकता है।’’
2.65 लाख जवानों की मजबूत क्षमता वाले बीएसएफ के प्रमुख ने कहा, ‘‘मैं गारंटी देता हूं कि आपको अच्छा खाना मिलेगा। हमारे यहां का खाना बिल्कुल घर के खाने जैसा होता है। बीएसएफ में भोजन प्रचुर मात्रा में है।’’ उन्होंने कहा कि यही बात उन्होंने सांसदों से भी कही थी जब उन्होंने इस साल के शुरू में इस मुद्दे के बारे में सवाल पूछे थे। वर्दी में मौजूद और अपना सर्विस रिवॉल्वर धारण किये यादव ने जनवरी में फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट कर यह दावा किया था कि सीमा पर दुर्गम इलाकों में तैनात जवानों को बेहद खराब खाना जैसे कि पानी वाली दाल और जली चपातियां परोसी जाती हैं। इस वीडियो का अन्य सोशल मीडिया मंचों पर भी इस्तेमाल हुआ था।
डीजी ने कहा कि यादव के वीडियो का पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस) ने इस्तेमाल किया। गौरतलब है कि हाल में एक जांच के दौरान यादव के आरोपों को गलत पाये जाने के बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘संभवत: आप जानते हों या आप इस बात से अनजान भी हो सकते हैं कि हमारे पड़ोसी ने 22 जगहों से इसे प्राप्त किया और इसे वायरल (सोशल मीडिया पर) कर दिया।’’ उन्होंने कहा कि यह विचार सिर्फ बीएसएफ और अन्य सुरक्षा बलों के जवानों को हतोत्साहित करने के लिये था।