तेलंगाना के लोकसभा चुनाव ने इस बार के चंद्रशेखर की बीआरएस का सूपड़ा साफ कर दिया। उस एक प्रदर्शन के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या तेलंगाना में बीआरएस की सियासी जमीन अब कमजोर पड़ चुकी है। पार्टी के कई नेता ऐसा मानते तो नहीं है, लेकिन जैसी खबरें आ रही हैं, उन्होंने जरूर साबित कर दिया है कि के चंद्रशेखर की पार्टी फिर खड़ी होने के लिए किसी के साथ भी गठबंधन कर सकती है।

बीआरएस नेताओं की बीजेपी से मुलाकात

इसी कड़ी में राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा चल रही है कि बीआरएस, बीजेपी के साथ गठबंधन कर सकती है। इसका कोई औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन दोनों बीजेपी और बीआरएस का एक धड़ा ऐसी अटकलों को बल देने का काम कर रहा है। बड़ी बात यह है कि कुछ दिन पहले के चंद्रशेखर के बेटे और नेता के टी रामा राव दिल्ली आए थे, माना जा रहा है कि उन्होंने बड़े बीजेपी नेताओं से मुलाकात की है।

बीजेपी का क्या कहना है?

उन मुलाकातों ने भी गठबंधन की चर्चा को मजबूत कर दिया है। वैसे अभी बीजेपी के नेता ऐसे किसी भी गठबंधन को लेकर ज्यादा सकारात्मक रुख नहीं दिखा रहे हैं। एक बीजेपी नेता का कहना है कि पार्टी के अंदर वो नेता ही ऐसे किसी गठबंधन के पक्ष में बात कर रहे हैं जिन्हें बीआरएस के पहले परिवार को बचाना है। लेकिन पार्टी के अंदर ही कई नेता मानते हैं कि ऐसा कोई भी गठबंधन बीजेपी के लिए ही आत्मघाती साबित हो सकता है।

तेलंगाना में बीजेपी कितनी मजबूत?

वैसे बीजेपी का एक धड़ा तेलंगाना को लेकर खासा सकारात्मक है, उसे लगने लगा है कि इस राज्य में पार्टी का अच्छा विस्तार हो सकता है। इस लोकसभा में क्योंकि तेलंगाना की 8 सीटें जीती गई हैं, ऐसे में पार्टी अपने प्रदर्शन में और ज्यादा सुधार की उम्मीद लगाए बैठी है। कर्नाटक की तरह दक्षिण के इस राज्य में भी उसे एक बड़ी ताकत के रूप में उभरने का मौका मिल रहा है। अब बीजेपी पूरी तरह तो इस तरह के गठबंधन के पक्ष में नहीं है, लेकिन बीआरएस के नेता इस बात को नकार नहीं रहे हैं।

केसीआर की पार्टी क्या हाल?

पूर्व लोकसभा सांसद बी विनोद कुमार का कहना है कि किसी भी बात को नकारा नहीं जा सकता। वैसे भी हमारी पार्टी में सभी लोकतांत्रिक विचारों वाले हैं, ऐसे में राजनीति में तो कुछ भी हो सकता है, किसी भी बात को नकारा नहीं जा सकता। बीआरएस नेता यहां तक मानते हैं कि तेलंगाना में उनकी पार्टी को अभी से कमजोर समझ लेना एक बड़ी भूल होगी।

बदल जाएगा सियासी मिजाज?

वे कहते हैं कि तेलंगाना के गर गांव में हमारा कैडर है, ऐसी स्थिति तो ना कांग्रेस की है और ना ही बीजेपी की। हमने अभी के लिए जरूर कुछ सीटें हारी हैं, लेकिन फिर खड़े होने की पूरी ताकत और उम्मीद है। वैसे भी रेवंत रेड्डी की सरकार से तो अभी से ही लोग नाराज नजर आ रहे हैं, उन्होंने अपने चुनावी वादे पूरे नहीं किए हैं। अब वर्तमान में तेलंगाना में एक अलग तरह का सियासी मिजाज बनता दिख रहा है जहां पर जरूरत पड़ने पर गठबंधन की कवायद भी दिख रही है और दूसरी तरफ खुद को फिर खड़ा करने की कोशिश भी जारी है।