Jammu and Kashmir, brexit, European union, anti immigrants: यूरोपीय संघ के 27 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को जम्मू-कश्मीर का दौरा करने वाला है। यह शिष्टमंडल अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द करने के बाद वहां की स्थिति का आकलन करेगा। इन 27 सांसदों में से कम से कम 22 सदस्य दक्षिणपंथी या कट्टर दक्षिणपंथी विचारधारा वाले यूके, फ्रांस, जर्मनी, इटली, पोलैंड, चेक रिपब्लिक और स्लोवाकिया जैसे देशों की पार्टियों से ताल्लुक रखते हैं। इन सदस्यों में वे शामिल हैं जो इटली में परदेसियों के बसने के विरोधी हैं, यूके में ब्रेक्जिट का समर्थन करते हैं और देशांतरण के खिलाफ विचार रखते हैं।

आइए नजर डालते हैं इस प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्यों पर। इनमें पोलैंड के जनप्रतिनिधि रिशर्ड सरनेस्की भी हैं जिन्हें यूरोपियन यूनियन के वाइस प्रेसिडेंट पद से बर्खास्त कर दिया गया था। फरवरी 2018 में एक राजनेता पर नाज़ीवादी अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में यह कार्रवाई की गई थी। ऐसा पहली बार हुआ था जब ईयू के प्रतिनिधियों ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल एक वरिष्ठ पदाधिकारी को बर्खास्त करने में किया था।

फ्रांस की सांसद थियरी मरियानी ने जुलाई 2015 में रूसी अधिकारियों के साथ क्रीमिया का दौरा किया था। क्रीमिया पर रूस ने 2014 में कब्जा किया था। यह सांसद सार्वजनिक तौर पर क्रीमिया में रूस की कार्रवाई का समर्थन कर चुकी हैं। उन पर अजरबैजान देश में मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों की तरफ आंखें मूंदने का भी आरोप लग चुका है।

पोलैंड के राजनेता कोस्मा ज्लोटोवोस्की ने नवंबर 2018 में एक ट्वीट से विवाद खड़ा कर दिया था। उन्होंने अपने ट्वीट में हैशटैग #WhyNotSvastika का इस्तेमाल किया था। यह नाज़ी प्रतीक स्वास्तिक के निशान से जुड़ा हुआ था। शॉपिंग वेबसाइट एमेजॉन पर सोवियत थीम की सामग्री बेचे जाने के विरोध में चलाए जा रहे ऑनलाइन कैंपेन के समर्थन में उन्होंने यह ट्वीट किया था। वहीं, पोलैंड के ही सांसद बोगडॉन रोजोंका ने यहूदियों पर एक टिप्पणी करके इस समुदाय को आहत कर दिया था। उन्होंने ट्वीट कर हैरानी जताई थी कि ”नरसंहार के बावजूद इतने बड़ी संख्या में यहूदी बच कैसे गए?”

बता दें कि इन विदेशी सांसदों के कश्मीर दौरे को लेकर सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने भी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। वहीं, भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा इस दौरे को रद्द करने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘मुझे आश्चर्य है कि विदेश मंत्रालय ने यूरोपीय संघ के सांसदों के व्यक्तिगत तौर पर जम्मू-कश्मीर इलाके का दौरा करने के प्रबंध किए हैं। यह हमारी राष्ट्र नीति से पीछे हटना है। मैं सरकार से यह दौरा रद्द करने की अपील करता हूं क्योंकि यह अनैतिक है।’