मेलचट वस्त्रम सेवा के लिए भक्त ने 2006 में बुकिंग कराई थी। लेकिन अब तक नंबर नहीं आ पाया तो उसने कंज्यूमर कोर्ट में गुहार लगाई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनकर कोर्ट ने अपने फैसले में तिरुमला तिरुपति देवस्थानम से कहा है कि या तो श्रद्धालु को टिकट दो नहीं तो 45 लाख रुपये का हर्जाना देना होगा।
LIVE LAW की रिपोर्ट के मुताबिक केआर हरि बसकर ने मेलचट वस्त्रम सेवा के लिए 2006 में बुकिंग कराई थी। उन्होंने इसकेस लिए 12 हजार 250 रुपये का भुगतान किया था। सेवा के लिए 10 जुलाई 2020 की तारीख तय की गई थी। हालांकि इस दौरान कोविड की वजह से मंदिर बंद हो गया। बसकर ने देवस्थानम से अपील की कि उसकी सेवा के लिए कोई और तारीख तय की जाए।
अपने जवाब में देवस्थानम के असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव अफसर ने कहा कि उनकी अपील पर बाद में कोई फैसला लिया जाएगा। बाद में डिप्टी एग्जीक्यूटिव अफसर ने कहा कि हरि बसकर चाहे तो अपने पैसे वापस ले सकते हैं या फिर वो वीआईपी दर्शन कर सकते हैं। लेकिन शिकायत कर्ता ने ये कहकर इन्कार कर दिया कि उसे हर हाल में सेवा की नई तारीख चाहिए। उनका कहना था कि 1 साल के भीतर उसे सेवा का अवसर दिया जाए।
लेकिन देवस्थानम बोर्ड ने उनकी दलील को खारिज कर दिया। उसके बाद उन्होंने कंज्यूमर कोर्ट में गुहार लगाई। उनकी दलील थी कि जो पैसा देवस्थानम बोर्ड ने उनसे मांगा वो उन्होंने तत्काल जमा करा दिया। अब उनकी ड्यूटी है कि वो सेवा की तारीख दें।
शिकायतकर्ता का कहना था कि जो भी कोताही हुई है वो बोर्ड के पार्ट पर हुई है। उनकी वजह से उन्हें आर्थिक नुकसान के साथ मानसिक पीड़ा भी झेलनी पड़ी। कोर्ट ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड 2 माह के भीतर बुकिंग का पैसा लौटाए। या तो वो 1 साल के भीतर सेवा की नई तारीख तय करे या फिर शिकायतकर्ता को 45 लाख रुपये का हर्जाना दे। कोर्ट कता कहना था कि शिकायत कर्ता बीते डेढ़ दशक से सेवा की प्रतीक्षा कर रहा था।