Bombay High Court News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के केस में एक आरोपी को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी लड़की का केवल एक बार पीछा करना IPC की धारा 345(D) के तहत स्टॉकिंग की श्रेणी में नहीं आता है। इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने एक आरोपी को सजा में भी राहत दी है।

दरअसल, जस्टिस जीए सनप ने सेक्शुअल हैरेसमेंट के दो 19 साल के आरोपियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान बड़ा फैसला सुनाया। दोनों पर 14 साल की लड़की का यौन उत्पीड़न करने और जबरन घर में दाखिल होने का आरोप लगा था। जस्टिस सनप ने कहा कि किसी लड़की को फॉलो करने की इकलौती घटना को IPC के तहत अपराध नहीं माना जा सकता है।

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किस केस से जुड़ा है पूरा मामला?

बता दें कि पॉक्सो एक्ट का यह केस जनवरी 2020 का है, जब मुख्य आरोपी ने नाबालिग लड़की का पीछा किया था और उससे शादी करने की इच्छा जाहिर की थी। लड़की के मना करने के बाद भी आरोपी नहीं माना, यहां तक कि लड़की की मां ने लड़के के परिवार से भी इस बारे में बात की, फिर भी आरोपी ने लड़की को परेशान करना जारी रखा था।

इतना ही नहीं, 26 अगस्त 2020 को आरोपी ने लड़की के घर में घुसकर उसे मुंह दबाया और उसे गलत तरीके से छुआ। इस दौरान दूसरा आरोपी घर के बाहर पहरा देता रहा। ट्रायल कोर्ट ने दोनों आरोपियों पर IPC और POCSO एक्ट के तहत कई मामले दर्ज किए। इनमें पीछा करना, सेक्शुअल हैरेसमेंट, घर में जबरन दाखिल होना और आपराधिक धमकी देना शामिल है।

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कोर्ट ने रिव्यू के दौरान क्या कहा

इस मामले में रिव्यू के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि पीछा करने का केस सिर्फ एक वाकए के आधार पर दर्ज किया गया है, जब आरोपी ने लड़की का नदी तक पीछा किया था। जस्टिस सनप ने साफ किया कि सेक्शन 354(D) के तहत यह जरूरी है कि आरोपी ने लगातार विक्टिम का पीछा किया हो, उसे लगातार देखा हो या फिजिकल या डिजिटल तरीके से उससे कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की हो।ॉ

कोर्ट ने कम की आरोपी की सजा

बॉम्बे हाई कोर्ट ने दूसरे आरोपी को सभी आरोपों से बरी करते हुए कहा कि उसने खिलाफ घर के बाहर खड़े होकर पहरा देने के अलावा कुछ नहीं किया था। इसके साथ ही कोर्ट ने IPC के सेक्शन 354(A) और POCSO के सेक्शन 8 के तहत मुख्य आरोपी का दोष बरकरार रखा है। हालांकि हाईकोर्ट ने मुख्य आरोपी की सजा कम कर दी। हाई कोर्ट से जुड़ी अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।