बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक कपल की रिश्तेदार के बेटे को गोद लेने की याचिका खारिज करते हुए कहा कि अमेरिकी नागरिक को गोद लेना मौलिक अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने बुधवार को पुणे के एक दंपत्ति की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने सेंट्रल एडोप्शन रिसोर्स एजेंसी (CARA) के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उन्होंने एक 6 साल के अमेरिकी बालक को गोद लेने के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था। बालक के जैविक माता-पिता याचिकाकर्ता दंपत्ति के रिश्तेदार हैं।

अदालत ने कहा, “यह स्पष्ट है कि किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम (जेजे अधिनियम), 2015 और न ही दत्तक ग्रहण विनियमों में विदेशी नागरिकता वाले बालक को गोद लेने का कोई प्रावधान है, भले ही वह बालक रिश्तेदार ही क्यों न हो, जब तक कि ‘बालक को देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता न हो’ या ‘बालक कानून का उल्लंघन (CCL)’ न कर रहा हो।”

जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस नीला के गोखले की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि यह याचिका “न्यायालय के ध्यान में जेजे अधिनियम और उक्त अधिनियम के तहत बनाए गए एडोप्शन रेगुलेशन की एप्लिकेबिलिटी से संबंधित एक स्पेशल केस को लाती है, जो बच्चे के बायोलॉजिकल पेरेंट्स के रिश्तेदारों द्वारा अमेरिका के नागरिक होने के नाते बच्चे को गोद लेने के संबंध में है।”

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इंडियन कपल के अमेरिकी बच्चे को गोद लेने की याचिका खारिज

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता शिरीन मर्चेंट और स्तुति ओसवाल ने सीएआरए से उन्हें भावी दत्तक माता-पिता के रूप में रजिस्टर करने और अमेरिकी नागरिक लड़के, जो याचिकाकर्ता महिला की बहन का बेटा है, को गोद लेने की सुविधा के लिए प्री-अप्रूवल लेटर जारी करने का निर्देश मांगा।याचिकाकर्ता दंपत्ति ने कहा कि चूंकि वे बच्चे को जन्म देने में असमर्थ थे इसलिए वे लड़के को गोद लेना चाहते थे। उसका जन्म 2019 में अमेरिका में हुआ था और उसके पास अमेरिकी पासपोर्ट है। याचिकाकर्ता दंपत्ति उसे गोद लेने के इरादे से, कुछ महीने की उम्र में ही उसे भारत ले आए थे।

सीएआरए ने उनके गोद लेने के अनुरोध को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया कि नियम किसी अमेरिकी नागरिक को गोद लेने की सुविधा प्रदान नहीं करते। दंपत्ति ने गोद लेने की मांग करते हुए पुणे जिला न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया था जो सीएआरए द्वारा गोद लेने की अनुमति देने से इनकार करने के कारण पेंडिंग था।

बच्चे का भारत में रहना अवैध हो सकता है

अधिवक्ता मर्चेंट ने हाईकोर्ट में दावा किया कि अमेरिकी अधिकारी वैध गोद लेने के आदेश के बिना लड़के के पासपोर्ट के रेनोवेशन से इनकार कर सकते हैं, और भारत में उसका रहना अवैध हो सकता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि बच्चा भारत में स्कूल जाता है और उसे हर साल अपना वीज़ा रिन्यू कराने के लिए अमेरिका जाना पड़ता है अन्यथा वह भारत में अवैध प्रवासी बन सकता है। ऐसे में उसकी स्थिरता, पहचान और भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए, CARA को गोद लेने की मंज़ूरी देने का निर्देश दिया जाना चाहिए। याचिकाकर्ताओं ने CARA द्वारा दिशानिर्देशों में ढील देने और नियमों में छूट देने की मांग की।

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इसके अलावा, बच्चे के जैविक माता-पिता ने अधिवक्ता युगंधरा खानविलकर के माध्यम से दावा किया कि वर्तमान गोद लेने की प्रक्रिया देश के भीतर गोद लेने की प्रक्रिया के अंतर्गत आती है न कि दो देशों के बीच गोद लेने की प्रक्रिया के, क्योंकि याचिकाकर्ता और उनके जैविक माता-पिता भारतीय नागरिक हैं।

अमेरिकी बच्चे के एडोप्शन से इनकार करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं

जस्टिस गोखले ने कहा कि इस तरह के निजी और रिश्तेदारी वाले अंतर-देशीय बच्चों के गोद लेने पर अंतर्राष्ट्रीय हेग कन्वेंशन के असंगत हैं, जिस पर भारत ने हस्ताक्षर किए हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे गोद लेने को अधिकृत गोद लेने की प्रक्रिया नहीं माना जाता है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को ऐसे अमेरिकी बच्चे को गोद लेने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है जो किशोर न्याय अधिनियम और विनियमों के दायरे में नहीं आता, भले ही वह भारतीय माता-पिता से पैदा हुआ हो। उच्च न्यायालय ने कहा, “अमेरिकी नागरिकता वाले बच्चे को किसी भारतीय नागरिक द्वारा गोद लेने के किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं है।” पढ़ें- पति-पत्नी के बीच सीक्रेट तरीके से रिकॉर्ड की गई बातचीत अदालत में स्वीकार्य