तेलुगु वामपंथी कवि और मानवाधिकार कार्यकर्ता वरवर राव को बॉम्बे हाइकोर्ट ने 50 हजार रुपये की सिक्योरिटी जमा करने पर रिहा करने की इजाजत दे दी है। मालूम हो कि वरवर राव लगभग एक साल से बीमार चल रहे हैं। इलाज के लिए राव को पहले ही जमानत दे दी गई थी। इस समय राव मुंबई के नानावती अस्पताल में भर्ती हैं और जेल से रिहाई के कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे थे। राव पर 2018 भीमा कोरेगांव मामले में यूएपीए के तहत केस दर्ज है।
महाराष्ट्र पुलिस ने भीमा कोरेगांव घटना के बाद यूएपीए के आरोप में राव को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था। महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद केंद्र सरकार ने भीमा कोरेगांव मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया था। इससे पहले राव के वकील ने कोर्ट से कहा था कि उन्हें अदालत नकद बॉन्ड भरने की इजाजत दे। राव को पहले ही छह महीने की अंतरिम जमानत अदालत से मिल चुकी है। कोर्ट ने राव से कहा था कि वे 50 हजार रुपये का निजी मुचलका और इतनी ही रकम की दो जमानत दें। राव के वकील आनंद ग्रोनर ने अदालत को बताया था कि मुचलका हासिल करने की प्रक्रिया धीमी है।
वकील ने कोर्ट से पूछा था कि क्या वे जमानत पर रिहाई के लिए अदालत के सामने नकद बॉन्ड जमा कर सकते हैं और मुचलके की औपचारिकता बाद में पूरी कर देंगे। मामले में अदालत ने कहा था कि NIA का पक्ष जान लेना भी जरूरी है। इसके बाद राव के वकील ने आवेदन कर दिया था।
जस्टिस एसएस शिंदे और मनीष पिटाले की पीठ ने राव की उम्र (82) और उनके स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए यह राहत दी थी। अदालत ने मामले में टिप्पणी की थी कि वह महज मूकदर्शक नहीं बनी रह सकती। कोर्ट ने कहा कि अगर राव हिरासत में रहते हैं तो उनकी तबियत और भी खराब हो सकती है।