मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। दिल्ली से सटी सीमाओं पर किसान 200 से भी ज्यादा दिनों से धरना दे रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर के चलते यह आंदोलन थोड़ा दब गया था। लेकिन अब एक बार फिर यह आंदोलन तेज होता दिखाई दे रहा है।
किसान एक बार फिर भारी मात्र में दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। दिल्ली-यूपी की सीमाओं पर ट्रैक्टरों का आना-जारी है। ‘आज तक’ से बात करते हुए भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार उन्हें कमजोर न समझे। किसान नेता ने कहा “कोरोना का इलाज़ अस्पताल में होगा और किसानों की बीमारी का इलाज़ संसद में। संसद में लिख देंगे कि यह किसानों का अस्पताल है और यहीं इलाज़ होता है।”
टिकैत ने कहा “भारत सरकार का इलाज़ गांव में होगा। बिना गांव के क्या इनका इलाज़ हो जाएंगा। इसको गांव में दवा देंगे। जैसे-जैसे ये जाएंगे दवा मिलती रहेगी।” टिकैत ने कहा कि ट्रैक्टर दिल्ली की तरफ रुख कर चुके हैं।
किसान नेता ने कहा “ट्रैक्टर दिल्ली आना न भूल जाये इसलिए रिहर्सल है। 26 जनवरी की परेड के लिए 23 तारीख को ये रिहर्सल करते हैं ना, क्या जरूरत हैं रिहर्सल करने की? जैसे पुलिस वालों और पायलट की ट्रेनिंग होती है, उसी तरीके से ट्रैक्टर दिल्ली की तरफ आना ना भूल जाएं, इसलिए रिहर्सल करवाया जा रहा है।”
टिकैत ने कहा “370 हटने के बाद से किसान परेशान हैं। घाटी में सिर्फ कुछ निजी कंपनियों को फायदा दिया जा रहा है। वहीं अगर किसान इस सब का विरोध करने लगे तो उन्हें आतंकवादी बता दिया जाता है।” वहीं पीएम की सर्वदलीय मीटिंग पर तंज कसते हुए उन्होंने कह कि गर्मी का मौसम है तो कश्मीर दिख रहा है, इसलिए वहां बात कर रहे हैं।”
गौरतलब है कि पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली के टिकरी, सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले साल से ही किसानों का जमावड़ा है। किसानों का कहना है कि जबतक तीनों कृषि कानून वापस नहीं होते और एमएसपी पर कानून नहीं बनता तबतक वो आंदोलन जारी रखेंगे।