कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से कुछ अन्य शर्तें रखी गई है। मांग में कहा गया है कि केंद्र सरकार एमएसपी गांरटी कानून और आंदोलन के दौरान 750 किसानों की मौत पर उनके परिजनों को मुआवजा दे। वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि आचार संहिता लगने के बाद किसान बड़ी घोषणा करेंगे।
बता दें कि हैदराबाद में राकेश टिकैत ने किसानों के एक कार्यक्रम में कहा कि पांच साल में सरकार एक बार किसानों के काम आती है। इनसे लेने का काम तो अभी आ रहा है। जिस दिन आचार संहिता लागू होगी उस दिन हम अपनी घोषणा करेंगे कि हमको करना क्या है।
उन्होंने कार्यक्रम में कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर हमसे बात नहीं की। क्या हम सजायाफ्ता मुजरिम हैं? हमारे 750 किसान आंदोलन में शहीद हुए, उनका मुआवजा कौन देगा, किसानों पर जो मुकदमें हैं, क्या उसको लेकर किसान घर जाएंगे। हम आंदोलन को कैसे खत्म करेंगे, वहां से कैसे जाएंगे, यह किसान मोर्चा तय करेगा। उन्होंने कहा कि किसानों को एमएसपी पर गांरटी कानून चाहिए।
बता दें कि हैदराबाद में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी को राकेश टिकैत ने भाजपा की बी टीम बताया। उन्होंने कहा ‘एक आपके यहां का बेलगाम बिना नाथ वाला सांड हैं जो देश में बीजेपी की सबसे अधिक मदद करता घूम रहा है। उसको यहीं बांधकर रखो। उसे बाहर मत जाने दो। वह बोलता कुछ है लेकिन उसका मकसद कुछ और है।”
बता दें कि इससे पहले राकेश टिकैत ने कहा था कि सरकार अगर 26 जनवरी से पहले तक अगर हमारी मांगों को मान जाती है तो हम आंदोलन खत्म करके अपने घर चले जाएंगे। वहीं चुनाव में भाजपा का विरोध करने को लेकर टिकैत ने कहा कि चुनाव के विषय में हम चुनाव आचार संहिता लगने के बाद बताएंगे।