भाजपा ने असम विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज कर उत्‍तर-पूर्व में पहली बार अपनी सरकार बनाई है। इस जीत ने भाजपा के लिए उत्‍तर पूर्व के दरवाजे खोले हैं और इसी के चलते अन्‍य राज्‍यों में भी भाजपा अपना विस्‍तार कर रही है। अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में वह सरकार में भागीदार है। त्रिपुरा में भी वह तेजी से पांव जमा रही है। भाजपा का दावा है कि इस राज्‍य में उसके दो लाख सदस्‍य हैं। इनमें से 10 हजार पिछले साल बने। त्रिपुरा को भाजपा पूरी गंभीरता से ले रही है। इसी का नतीजा है कि उसने आरएसएस सदस्‍य बिप्‍लब कुमार देब को राज्‍य का अध्‍यक्ष बनाया है।

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बिप्‍लब कुमार 1998 तक 2015 तक जनसंपर्क अभियान प्रमुख के रूप में राज्‍य से बाहर काम कर रहे थे। फरवरी में उन्‍हें त्रिपुरा भजपा का अध्‍यक्ष बनाया गया। इसी के साथ वे भाजपा के सबसे युवा प्रदेशाध्‍यक्ष हैं। कांग्रेस के छह विधायक हाल ही में तृणमूल कांग्रेस में चले गए। वहीं एक अन्‍य विधायक ने पद से इस्‍तीफा दे दिया था। इसके चलते अब उसके पास केवल एमएलए बचे हैं। भाजपा तेजी से कांग्रेस के वोट बैंक को अपने पाले में कर रही है। 2013 में भाजपा 50 सीटों पर लड़ी थी और 49 पर उसकी जमानत जब्‍त हो गई। लेकिन पिछले 12 महीने में तीन उपचुनावों में भाजपा नंबर दो पर रही। इस बार कांग्रेस की जमानत जब्‍त हो गई। भाजपा ने शहरी और ग्रामीण निकायों में 50 से ज्‍यादा सीटें जीती हैं।

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सीपीएम की बात करें तो उसके कार्यकर्ता भी भाजपा की ओर जा रहे हैं। हालांकि सीपीएम यह तो मान रही है कि भाजपा बढ़ रही है लेकिन वह उसे कोई चुनौती नहीं मानती। सीपीएम का कहना है कि भाजपा ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई है। बता दें कि पिछले दिनों ही 5000 सीपीएम कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा अध्‍यक्ष बिप्‍लब कुमार का कहना है, ”हमने कांग्रेस के अधिकांश वोट अपने पाले में कर लिए हैं और अब सीपीएम के गढ़ की ओर बढ़ रहे हैं। सीपीएम की मुख्‍य ताकत आदिवासी हैं। यदि जरूरत पड़ी तो हम इंडिजीनस पीपल्‍स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा से गठबंधन करेंगे।”

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इधर, कांग्रेस ने माना कि भाजपा ने अपने पांव जमाए हैं लेकिन ऐसा 2001-03 में भी हुआ था। त्रिपुरा कांग्रेस के अध्‍यक्ष प्रद्युत देब बर्मन ने बताया, ”ऐसा ट्रैंड है कि कुछ लोग जिस तरफ दिल्‍ली की सरकार होती है उस तरफ जाते हैं।” भाजपा मणिपुर में भी अपनी मौजूदगी दिखा रही है। पिछले दिनों इंफाल निकाय चुनावों में उसने 10 सीटें जीती थी। वह कांग्रेस(12) के बाद दूसरे नंबर पर रही थी।

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