श्रीलंका में आए आर्थिक संकट को लेकर भारत में भी सियासय शुरू हो गई है। केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधने के लिए विपक्षी दल श्रीलंका का उदाहरण देने लगे हैं। इस मुद्दे पर चल रही एक टीवी डिबेट में कांग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा ने कहा कि पहली बार जब सोना गिरवी रखा गया था तब वीपी सिंह की सरकार को बीजेपी सपोर्ट कर रही थी।
उन्होंने कहा कि 1991 में वीपी सिंह की सरकार के बाद 2017 में मोदी सरकार ने सोना गिरवी रखा। मोदी सरकार ने सेक्शन 7 का इस्तेमाल करके आरबीआई के दो लाख 26 हजार करोड़ रुपए निकाल लिए। ऐसा पहली बार हुआ है।”
उन्होंने दावा किया कि 4 हजार करोड़ प्रतिदिन बीजेपी सरकार लोन ले रही है। उन्होंने कहा कि 2003-2014 तक श्रीलंका की जीडीपी ग्रोथ रेट हमसे 3 प्रतिशत ज्यादा थी और आज हालात ये हैं कि हम बांग्लादेश से पीछे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सेलेक्टेड राज्यों की बात करती है। आलोक शर्मा ने कहा कि हरियाणा में सात साल पहले जो कर्ज था वो आज पांच गुना बढ़ गया और मोदी जी जितने साल मुख्यमंत्री रहे सात गुना कर्ज गुजरात पर छोड़कर आए थे।
कांग्रेस प्रवक्ता के इन आरोपों पर बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने पलटवार करते हुए कहा कि फरवरी 1991 में सोना गिरवी रखा गया और नवंबर 1990 में वीपी सिंह की सरकार चली गई थी। इसके बाद चंद्रशेखर की सरकार बनी, जिसे राजीव गांधी का सपोर्ट था।
उन्होंने आगे कहा, “1980 में भारत का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व साढ़े सात बिलियन डॉलर था और चीन का 2.3, लेकिन देखते-देखते वो कांग्रेस की सरकार में 1 बिलियन तक पहुंच गया। 5 साल की इंदिरा जी की दो-तिहाई सरकार और तीन-चौथाई राजीव गांधी की सरकार। हमारा फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व साढे सात से 1 बिलियन डॉलर 1991 तक पहुंच गया। इसके बाद अटल बिहारी जी की सरकार में 100 बिलियन और मोदी जी की सरकार में 500 बिलियन पहुंच गया और अब 600 बिलियन से ऊपर है।”