जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों के निरस्त होने के बाद प्रदेश में स्थानीय भाजपा ने अलग मांग की है। पार्टी चाहती है कि राज्य में बाहरी लोगों द्वारा जमीन की खरीद और सरकारी नौकरियों की नियुक्ति पर कुछ प्रतिबंध लगाए जाएं। भाजपा के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने संडे एक्सप्रेस से कहा कि वो आवास प्रमाणपत्र की तरह एक सेफगार्ड चाहते हैं ताकि भूमि और राज्य की नौकरियों के संबंध में स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा की जा सके।

सूत्रों ने बताया कि भाजपा नेताओं को लगता है कि राज्य में मौजूदा प्रतिबंधों को पूरी तरह से हटाए जाने से पहले भूमि कानूनों और नौकरियों के बारे में आशंकाओं को दूर करने की आवश्यकता है। यह इन आशंकाओं की वजह है कि जम्मू में भी उत्साह उतना नहीं रहा जितना अनुच्छेद 370 के हटने के बाद उम्मीद थी।

निर्मल सिंह ने कहा, ‘हम इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं कि विपक्षी दलों ने एक नई बहस शुरू की है कि बाहरी लोग अनुच्छेद 370 हटने के बाद हमारी जमीन और प्रदेश की नौकरियां छीन लेंगे।’ वहीं जम्मू-कश्मीर इकाई के भाजपा प्रवक्ता सुनील सेठी ने दावा किया, ‘सरकार पहले ही इन तमाम मुद्दों पर काम कर रही है। इसमें यह विवादित मुद्दे भी शामिल हैं।’

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भाजपा प्रवक्ता ने कहा, ‘हमारे पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश और पंजाब में स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा करने वाले कुछ कानून हैं, जिनमें किसानों से जुड़े कानून भी हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि पंजाब में किसी व्यक्ति को सरकारी नौकरी का पात्र बनने के लिए कम से कम छह साल का निवासी होना जरुरी है, जबकि हिमाचल प्रदेश में बाहरी व्यक्ति कृषि योग्य जमीन नहीं खरीद सकता। कुछ अन्य स्थानों पर, ऐसी स्थितियां हैं कि किसान की 50 फीसदी से अधिक कृषि भूमि की खरीद नहीं की जा सकती है।

सिंह के मुताबिक आवसीय प्रमाणपत्र की आवश्यकता इस तरह की जरूरतों के लिए थी। जबकि हर भारतीय को यहां (जम्मू-कश्मीर में) आने और बसने का अधिकार है, वहीं स्थानीय लोगों के अधिकारों की भी रक्षा की जानी है। पार्टी के महासचिव नरिंदर सिंह ने बताया कि पुडुचेरी में, जो कि विधानसभा के साथ केंद्र शासित प्रदेश भी है, वहां एक अनिवासी व्यक्ति कृषि योग्य भूमि नहीं खरीद सकता है।