भूमि अधिग्रहण विधेयक पर सरकार को घेरने के लिए बनी विपक्षी एकजुटता के बीच भाजपा अब इस पर झुकने के बजाय तेवर और सख्त कर लिए हैं। पार्टी ने शनिवार को एलान किया कि वह गांव-गांव जाकर किसानों से संपर्क कर उनके सामने विधेयक के सभी पहलू स्पष्ट करेगी और कांग्रेस व दूसरी पार्टियों के ‘दुष्प्रचार अभियान’ का जवाब देगी। पार्टी की दो दिनों की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अंतिम दिन विवादित विधेयक पर विस्तृत चर्चा की गई और वहां पार्टी द्वारा मंजूर किए गए राजनीतिक प्रस्ताव का भी यह हिस्सा बना।

संसद में लंबित विधेयक के समर्थन में अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की पार्टी की कोशिश के बीच बैठक में मुद्दे को लेकर एक विस्तृत पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन तैयार किया गया और एक पुस्तिका ‘दुष्प्रचार से निपटने के लिए सूचना’ (लोगों के सामने तथ्य पेश करना) जारी की गई।

केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- हम बेबुनियाद दुष्प्रचार नहीं होने देंगे…विपक्ष के दुष्प्रचार अभियान से निपटा जाएगा…पार्टी हर गांव में तथ्यों का खुलासा करेगी और लोगों को बताएगी कि हमारे पास एक कानून है जो किसानों और लोगों के पक्ष में है। सभी पार्टी सदस्य जनता के समक्ष भूमि विधेयक के अंश स्पष्ट करेंगे। सरकार की मंशा किसानों की मदद करने की है।

यह पूछे जाने पर कि क्या राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों ने विधेयक के किसी भी पहलू पर चिंता जताई है, निर्मला ने कहा कि अगर कोई चिंता है तो वह दुष्प्रचार अभियान को लेकर है। उन्होंने कहा कि पार्टी शिवसेना और अकाली दल जैसे सहयोगियों से संपर्क करेगी जिन्होंने गंभीर आपत्तियां जताई हैं। पार्टी की मंशा सबको साथ लेकर चलने की है, किसी को ठेस पहुंचाने की नहीं है। उन्होंने कहा- जब हम विपक्ष से संपर्क करने को तैयार हैं तो हम अपने सहयोगियों से क्यों नहीं संपर्क करेंगे। उन्होंने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि वे विधेयक से जुड़ी कोई खास आपत्ति सामने रखने में नाकाम रहे हैं और केवल विरोध करने के नाम पर इसका विरोध कर रहे हैं।

निर्मला ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि यूपीए सरकार ने अपने ‘पसंदीदा लोगों’ को कोयला खदानों का आबंटन किया था। उन्होंने सवाल किया कि क्या तब इसके सामाजिक प्रभाव का आकलन किया गया था। उन्होंने कहा कि अगर कुछ भी किसान विरोधी है तो हम किसी के साथ भी चर्चा करने के लिए तैयार हैं। हमें लगता है कि हमारे पास कोई भी किसान विरोधी बिंदु नहीं है।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया जिसका केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने समर्थन किया जो विधेयक पर पार्टी की ओर से रूपरेखा प्रस्तुत करने वाले प्रमुख नेता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रस्ताव पर अंतिम टिप्पणियां की।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन का ब्योरा देते हुए कहा कि उनका पूरा जोर विकास के उस मॉडल को लेकर था जिसको लेकर सरकार आगे बढ़ने का प्रयास कर रही है कि अर्थव्यवस्था की प्रगति होनी चाहिए और समृद्ध अर्थव्यवस्था की पहुंच गरीब तक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह नौकरियों, रोजगार के नए अवसर और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के जरिए होगा। सरकार अतिरिक्त संसाधन मुहैया कराएगी।

भूमि विधेयक पर जेटली ने कहा कि चर्चा का बड़ा हिस्सा इस बात को लेकर था कि इससे (विधेयक) ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण, खासकर सड़कें, सिंचाई, विद्युतीकरण, गरीबों के मकान, कमजोर तबकों और ग्रामीण भारत को मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में औद्योगिक कॉरीडोर और औद्योगीकरण से सभी लोगों, खासकर भूमिहीनों और दलितों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी। उन्होंने यूपीए सरकार के 2013 के भूमि अधिग्रहण विधेयक को ‘किसान विरोधी’ करार दिया और कहा कि 2015 के संशोधन इसमें सुधार करने के लिए है।

बीते साल मिली चुनावी जीतों से उत्साहित भाजपा ने यह भी कहा कि वह ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही है और नरेंद्र मोदी सरकार ने कांग्रेस द्वारा पैदा किए गए ‘विश्वसनीयता के संकट’ का प्रभावी ढंग से निवारण किया है। पार्टी ने कहा कि वह गरीबों को सशक्त बनाने में विश्वास करती है जबकि कांग्रेस अपने शासन में ‘गरीबी को सशक्त बना रही थी।’

केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पारित पार्टी के राजनीति प्रस्ताव पर मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि कांग्रेस मुक्त भारत के अभियान का संदेश एक तरह से चरणों में स्पष्ट रूप से मूर्त रूप ले रहा है। विश्वसनीयता के संकट को प्रभावी रूप से खत्म किया जा रहा है और लोग भाजपा की ओर उम्मीद के साथ देख रहे हैं। उन्होंने यूपीए शासन का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस मुक्त सिर्फ एक चुनावी गणना नहीं है बल्कि एक ऐसा रुख है जो देश में दुर्भाग्यपूर्ण दौर के समय प्रभावी रूप में आया। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि हम जल्द ही उस भारत की ओर बढ़ रहे हैं जहां ये बुराइयां नहीं होंगी।