उत्तर प्रदेश की सुलतानपुर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद मेनका गांधी ने बेरोजगारी के मुद्दे पर अपनी ही सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी के बाद से देश में बेरोजगारी की समस्या बढ़ी है। बता दें कि मेनका गांधी के बेटे और पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी भी नौकरियों के मुद्दे पर केंद्र सरकार को अक्सर घेरते रहते हैं।

वहीं मीडिया से बात करते हुए मेनका गांधी ने कहा, “अब लोगों की उम्मीदें कम हुई हैं कि उन्हें नौकरी मिलेगी भी या नहीं। नौकरी पाने की उम्मीदें कम होने से इंसान हिंसा की तरफ चला जाता है। बेरोजगारी को लेकर कोई ठोस कदम उठाने की जरुरत है।” बता दें कि मेनका गांधी ने यह बातें शनिवार को बरेली में जिला पंचायत अध्यक्ष रश्मि पटेल के आवास पर कहीं।

उन्होंने कहा कि कोरोना काल के बाद से देश में बेरोजगारी की दर तेजी से बढ़ी है। इसे खत्म करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी बढ़ने के साथ-साथ लोगों की उम्मीदें भी टूट रही हैं। उनमें मायूसी है कि उन्हें नौकरी मिलेगी भी या नहीं। ऐसे इंसान हिंसा की तरफ चला जाता है। इसके लिए कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत हैं।

बता दें कि रोजगार के मुद्दे पर जहां मोदी सरकार दावा करती है कि इस सरकार में लोगों को रोजगार मिला है वहीं मेनका गांधी का अपनी ही पार्टी पर निशाना साधना विपक्ष को हथियार मिलने जैसा है। गौरतलब है कि इससे पहले मेनका गांधी के बेटे और बीजेपी सांसद वरुण गांधी भी कई मौकों पर बेरोजगारी को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साध चुके हैं।

28 मई को वरुण गांधी ने एक ट्वीट में लिखा था, “जब बेरोजगारी 3 दशकों के सर्वोच्च स्तर पर है, भर्तियाँ न आने से करोड़ों युवा हताश व निराश है, वहीं ‘सरकारी आंकड़ों’ में देश में 60 लाख ‘स्वीकृत पद’ खाली हैं। कहां गया वो बजट जो इन पदों के लिए आवंटित था? यह जानना हर नौजवान का हक है!”