पांच राज्‍यों के चुनाव नतीजों में बीजेपी ने मणिपुर में कम सीटें मिलने के बाद सरकार बना ली। इससे उत्‍साहित पार्टी ने अब त्रिपुरा पर अब नजरें गड़ा दी है। यहां पर अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी ने अकेले ही मैदान में उतरने का फैसला किया है। अटकलें थीं कि भगवा दल क्षेत्रीय दलों के साथ हाथ मिला सकती है। उत्‍तर-पूर्व में बीजेपी की असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में सरकार है। इसी महीने की शुरुआत में तृणमूल कांग्रेस की पूरी राज्‍य इकाई बीजेपी में शामिल हो गई थी। त्रिपुरा में वामपंथी सरकार है और राज्‍य बीजेपी के प्रवक्‍ता मृणाल कांति देव ने विश्‍वास जताया कि उनकी पार्टी वामपंथी सरकार को सत्‍ता से बाहर कर देगी।

बीजेपी के अंदरूनी लोगों का कहना है कि पार्टी विरोधी दलों के सदस्‍यों को अपने साथ लेने, राज्‍य की सबसे बड़ी आदिवासी पार्टी में अनबन का फायदा उठाने और अलग राज्‍य की मांग को लेकर स्‍वायत्‍त त्विपरालैंड काउंसिल बनाने के वादे की रणनीति पर चल रही है। राज्‍य में कांग्रेस 10 सीटों के साथ मुख्‍य विपक्षी दल था लेकिन बंगाल विधानसभा चुनावों में लेफ्ट के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के फैसले के विरोध में छह विधायकों ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था। लेकिन टीएमसी के लिए भी अच्‍छी खबर नहीं है, पिछले सप्‍ताह उसके 400 पार्टी कार्यकर्ता भाजपाई बन गए।

टीएमसी कॉर्डिनेशन कमिटी के चेयरमैन रतन चक्रवर्ती के नेतृत्‍व में तृणमूल कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए। सूत्रों के अनुसार उन्‍होंने बताया कि उनके पार्टी विधायक और नेता विपक्ष सुदीप रॉय बर्मन से रिश्‍ते बिगड़ गए थे। भाजपा के एक सूत्र ने बताया, ”बर्मन का समर्थन कर रहे ग्रुप में राज्‍य में टीएमसी की संभावनाओं को लेकर लगातार नाराजगी बढ़ रही है और वे बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेस से टीएमसी में गए छह में से तीन विधायक बीजेपी के करीब आ रहे हैं। हम अन्‍य कांग्रेसी विधायकों के संपर्क में भी हैं।” उन्‍होंने कहा कि अक्‍टूबर तक ये विधायक बीजेपी में शामिल हो जाएंगे।

इन्डिजनस पीपल्‍स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) में दो फाड़ से भी भाजपा में उत्‍साह है। आईपीएफटी के उपाध्‍यक्ष बुद्धु देब बर्मा के नेतृत्‍व में एक दल ने पार्टी अध्‍यक्ष एनसी देब बर्मन को पद से हटा दिया। बर्मन का आरोप है कि देव वर्मा पार्टी को कमजोर करना चाहते हैं। एक बीजेपी नेता ने बताया कि उनकी पार्टी पहले ही साफ कर चुकी है कि वह त्विपरालैंड के लिए स्‍वायत्‍त संस्‍था बनाने के पक्ष में है। इससे आईपीएफटी से अनौपचारिक तौर पर गठबंधन हो जाएगा। साथ ही सर्वानंद सोनोवाल के असम का मुख्‍यमंत्री बनने से राज्‍य की छात्रों की पार्टी का समर्थन लेने में भी बीजेपी को आसानी होगी।