Mehbooba Mufti Resignation, BJP-PDP Alliance ends in JK Updates: जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि घाटी में डराने-धमकाने और बाहुबल की नीति नहीं चलेगी। हमें किसी पार्टी की जरूरत नहीं है। न ही किसी गठबंधन की। सीएम ने इसी के साथ कहा कि सालों बाद लोग यहां सुकून से जी रहे थे। हमने तो राज्य को मुसीबतों से उबारने के लिए गठबंधन किया था, पर बीजेपी वैसा नहीं चाहती है।
बकौल महबूबा, “मैं हैरान नहीं हूं। हम सत्ता के लिए गठबंधन नहीं करते हैं। गठबंधन के पीछे बड़े मकसद थे, जिनमें एकतरफा सीजफायर, पीएम मोदी की पाकिस्तान यात्रा, 11 हजार युवाओं के खिलाफ मामले वापस लिए जाने जैसे मुद्दे शामिल थे। मैंने राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया है और उनसे कहा कि हमें किसी और गठबंधन की जरूरत नहीं है।”
मंगलवार (19 जून) को यहां तीन साल पुरानी बीजेपी-पीडीपी सरकार गिरी है। बीजेपी ने पहले पीडीपी से गठबंधन तोड़ने का एलान नई दिल्ली में किया, जिसके बाद सीएम ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंपा। घाटी में सियासी उठापटक के बीच नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अबदुल्ला श्रीनगर में राज्यपाल एनएम वोहरा से मुलाकात करने पहुंचे थे।
बीजेपी महासचिव राम माधव ने इससे पहले नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर कहा कि राज्य के हालात को देखते हुए बीजेपी की केंद्रीय समिति ने फैसला किया कि राज्य की महबूबा सरकार से समर्थन वापस लेकर वहां राज्यपाल शासन लगाया जाए।
87 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीडीपी के 28 और बीजेपी के 25 विधायक हैं। पिछले कुछ महीनों से इस गठबंधन के बीच दोनों दलों के बीच रिश्ते सामान्य नहीं थे। इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य के सभी मंत्रियों और बीजेपी के बड़े नेताओं को दिल्ली तलब किया था। उनसे चर्चा करने के बाद बीजेपी ने यह तय किया कि जम्मू-कश्मीर में अब पीडीपी के साथ आगे चलना मुश्किल होगा।
बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में गठबंधन तोड़ने के पीछे दे अहम कारण बताएं हैं। 1- घाटी में आतंकवाद और हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी होना। 2- जम्मू और कश्मीर बीच के बीच में पक्षपात किया जाना। पीडीपी के साथ बीजेपी का अहम मुद्दे पर मतभेद था, जो रमजान के दौरान सेना की ओर से सीजफायर पर अमल करना था।
सरकार गिरने के बाद महबूबा की पहली प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा, "बीजेपी के समर्थन वापस लेने के बाद मैंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा दे दिया है। हमने तो राज्य को मुसीबत से निकालने के लिए उनसे हाथ मिलाया था। बड़ी सोच के साथ गठबंधन किया था। पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते बनाना मकसद था।"
दिल्ली में गृह मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर एक बैठक हो रही है। जम्मू-कश्मीर में पीडीपी सरकार से बीजेपी के समर्थन लेने के बाद यह बड़ी बैठक मानी जा रही है। राजनाथ के अलावा इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और जम्मू-कश्मीर के सचिव और संयुक्त सचिव शामिल हो रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल का कार्यकाल बढ़ा। अब नई नियुक्त तक वही राज्यपाल रहेंगे। सियासी घटनाक्रम से पहले तक उनका कार्यकाल 25 जून को समाप्त होने वाला था।
घाटी में सियासी उठापटक के बीच नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अबदुल्ला श्रीनगर में राज्यपाल एनएम वोहरा से मुलाकात करने पहुंचे हैं।
भारतीय जनता पार्टी राज्य में पीडीपी के साथ गठबंधन से बाहर क्यों चली गई? पीडीपी के प्रवक्ता रफी अहमद ने इस प्रश्न के जवाब में कहा कि हम केवल हम आज शाम चार बजे इस मसले पर चर्चा करेंगे।
कांग्रेस की ओर से गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि जो भी हुआ वह अच्छे के लिए हुआ। जम्मू-कश्मीर के लोगों को इससे कुछ राहत मिलेगी। बीजेपी ने कश्मीर को बर्बाद कर दिया। पिछले तीन सालों में सबसे ज्यादा आम नागरिक और सैनिकों की जान गई।