उत्तर प्रदेश में हाल ही में संपन्न हुए घोसी विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। यहां सपा के सुधाकर सिंह ने बीजेपी के प्रत्याशी और पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान को हरा दिया। यह पहली बार नहीं है कि BJP को यूपी में हुए किसी उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। 2022 विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी को यूपी में 3 उपचुनावों (घोसी व खतौली विधानसभा सीट और मैनपुरी लोकसभा सीट) में हार का सामना करना पड़ा है। बीजेपी को ये तीनों ही ठोकरें मायावती के मैदान में न होने या दूसरी भाषा में कहें तो दलितों का वोट न मिलने की वजह से मिली हैं।

घोसी विधानसभा सीटों पर BJP ने प्रचार के लिए दिग्गजों को उतारा था। मायावती ने उपचुनाव से दूरी बनाते हुए अपने कार्यकर्ताओं से न्यूट्रल रहने के लिए कहा था, बावजूद इसके सपा अपनी सीट बचाने में सफल रही। 2022 विधानसभा चुनाव में सपा को 42.21 फीसदी वोट मिले थे जबकि बीजेपी को 33.57 फीसदी वोट और बीएसपी को 21.12 फीसदी वोट मिले थे।

घोसी विधानसभा सीट पर करीब 19 फीसदी दलित वोटर हैं, इनमें से ज्यादातर जाटव बिरादरी के हैं, जिन्हें मायावती समर्थक माना जाता है। घोसी उपचुनाव प्रचार के दौरान दलितों को रिझाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने 1995 के VVIP गेस्टहाउस कांड का जिक्र किया था, बावजूद इसके सपा दलितों के वोट का एक बड़ा शेयर बटोरने में सफल रही। घोसी उपचुनाव में सपा के सुधाकर सिंह को 42,759 वोट (57.2 फीसदी) मिले, BJP को 37.5 फीसदी वोट मिले।

खतौली उपचुनाव में RLD ने बीजेपी को चटाई धूल

दिसंबर 2022 में खतौली में हुए उपचुनाव में BJP को रालोद के हाथों हार का सामना करना पड़ा। यहां बीजेपी के विक्रम सैनी को 2022 में 45.34 फीसदी वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर रालोद के राजपाल सैनी रहे थे, उन्हें 38 फीसदी वोट मिले जबकि 14.15 फीसदी वोटों के साथ बसपा तीसरे नंबर पर रही। खतौली उपचुनाव के दौरान रालोद के मदन भैया को 54.23 फीसदी वोट मिले जबकि बीजेपी के टिकट पर मैदान में उतरीं विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी को 41.72 फीसदी वोट मिले।

खतौली विधानसभा में मुस्लिमों के बाद सबसे ज्यादा तादाद दलित वोटर्स की है। बीजेपी से जुड़े लोगों का मनना है कि आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर का रालोद प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार करना उनके खिलाफ गया। बीजेपी के एक लोकल लीडर ने कहा कि उन्हें दलितों के वोट का एक छोटा शेयर ही मिला जबकि ज्यादातर ने रालोद-सपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया।

मैनपुरी में डिंपल को मिली बड़ी जीत

पिछले साल दिसंबर में हुए मैनपुरी लोकसभा चुनाव में सपा की डिंपल यादव को 64.49 फीसदी वोट मिले जबकि बीजेपी के रघुराज सिंह शाक्य को सिर्फ 34.39 फीसदी वोट ही मिले। 2019 में यहां मुलायम सिंह यादव ने 53.66 फीसदी वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। तब सपा और बसपा का गठबंधन था। BJP को 44 फीसदी वोट हासिल हुए थे। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हुए चुनाव में बीएसपी मैनपुरी के रण से दूर रही।

मैनपुरी लोकसभा सीट पर 4.5 लाख यादव वोट हैं, 3.5 लाख शाक्य हैं, 2.5 लाख दलित, 1.5 लाख लोध राजपूत और 60 हजार मुस्लिम मतदाता हैं। मैनपुरी के सियासी जानकारों का मानना है कि बीएसपी के मैदान से दूर रहने की वजह से यहां ज्यादातर दलित मतदाताओं ने डिंपल के पक्ष में वोट किया। मैनपुरी में BJP के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले पहले सपा में थे। 2022 विधानसभा चुनाव में टिकट न दिए जाने पर वो बीजेपी में शामिल हो गए। हालांकि कई बीजेपी नेताओं का मानना है कि गलत प्रत्याशी के चयन की वजह से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।

कहां-कहां जीती भाजपा?

2022 के विधानसभा चुनावों के बाद यूपी में तीन लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। इनमें BJP को रामपुर और आजमगढ़ में जीत मिली। इन दोनों ही सीटों पर सपा का कब्जा था लेकिन उपचुनाव में बीजेपी को जीत मिली। इन तीनों सीटों में बीएसपी को सिर्फ आजमगढ़ लोकसभा चुनाव में जीत मिली। इसके अलावा छह विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी रामपुर और गोला गोकर्णनाथ विधानसभा जीतने में सफल रही जबकि सुआर और छानबे विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी की सहयोगी अपना दल (एस) जीतने में कामयाब रही।