अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्ससभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि मस्जिद को गिराया जा सकता है, लेकिन मंदिर को कभी नहीं गिराया जा सकता, क्योंकि उसमें भगवान रहते हैं। रविवार को न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में स्वामी ने कहा कि मस्जिद और मंदिर बराबर संस्थान नहीं है। लोगों में यह गलत धारणा है कि मंदिर और मस्जिद दोनों का समान महत्व है। स्वामी ने मंदिर और मस्जिद को लेकर दिए गए अपने बयान को लेकर तर्क और बताया कि दोनों कैसे अलग है। स्वामी के मुताबिक मस्जिद केवल प्रार्थना करने का एक सुविधाजनक स्थान है। नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है, लेकिन इससे भिन्न मंदिर को लेकर हमारा मानना है कि उसमें भगवान रहते हैं और वही उसके मालिक हैं। जबकि मस्जिदों पर कई लोग अपना दावा करते हैं। इस आधार पर भगवान राम मंदिर के मालिक हैं।
स्वामी ने कहा कि इस आधार पर मस्जिद को तो गिराया जा सकता है, लेकिन एक मंदिर को हाथ भी नहीं लगाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में चल रहे राम मंदिर-बाबरी मस्जिद केस पर स्वामी ने कहा कि हमें कोर्ट के आदेश का इंतजार है। हम केस जरुर जीतेंगे। मैंने जो तर्क दिया है वो और किसी ने नहीं दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाल ही में दिए अपने फैसले में कहा था, “यह धर्म और आस्था से जुड़ा मामला है इसलिए इसको कोर्ट के बाहर सुलझा लेना चाहिए। कोर्ट ने इसपर सभी पक्षों को आपस में बैठकर बातचीत करने के लिए कहा।”
इससे पहले भी सुब्रमण्यम स्वामी ने मुस्लिम समाज को समझौता करने की सलाह दी थी। न्होंने कहा कि अगर मुस्लिम समाज समझौते के लिए तैयार नहीं होता हैं तो 2018 में राज्यसभा में बीजेपी के पास बहुमत होने पर मंदिर के निर्माण के लिए कानून पास कराया जाएगा। स्वामी ने मुस्लिम समाज को मस्जिद निर्माण के लिए किसी दूसरी जगह का चयन करने की सलाह दी थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोनों पक्षों को मामला सुलझाने के लिए कहने के बाद सुझाव दिया था कि मुसलमानों को सरयू नदी के पार मस्जिद का निर्माण कराना चाहिए और राम मंदिर को राम जन्म भूमि पर बनने देना चाहिए। रामजन्मभूमि पूरी तरह से राम मंदिर के लिए होनी चाहिए। हालांकि मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा समझौता किए जाने वाली बात को खारिज कर दिया था और कहा था कि समझौते के लिए अब समय निकल चुका है।