Kangana Ranaut On Farm Laws: पूर्व फिल्मी अदाकारा और हिमाचल प्रदेश से बीजेपी की सांसद कंगना रनौत ने अपने उस बयान से पल्ला झाड़ लिया है जिसमें उन्होंने तीनों कृषि कानून को वापस लाने की मांग की थी। कंगना रनौत ने कहा था कि हो सकता है उनकी इस बात पर विवाद हो लेकिन इन कानूनों को लागू करना चाहिए।

क्या कहा कंगना ने?

कंगना रनौत ने X पर वीडियो जारी कर कहा है कि बीते दिनों में मीडिया ने उनसे कृषि कानूनों को लेकर कुछ सवाल किये थे और उन्होंने जवाब में यह सुझाव दिया कि किसानों को कृषि कानून वापस लाने का निवेदन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करना चाहिए। कंगना ने कहा है कि उनकी इस बात से काफी लोगों को निराशा हुई है।

कंगना ने कहा कि जब मोदी सरकार कृषि कानून लाई थी तो बड़ी संख्या में लोगों ने इसका समर्थन किया था। कंगना रनौत ने कहा कि क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को वापस ले लिया था इसलिए यह हम सभी का कर्तव्य बनता है कि हम उनके शब्दों की गरिमा रखें।

कंगना ने कहा कि उन्हें इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि अब वह कलाकार नहीं हैं बल्कि बीजेपी की कार्यकर्ता हैं और उनके विचार व्यक्तिगत नहीं होने चाहिए बल्कि यह पार्टी का स्टैंड होना चाहिए।

कंगना ने कहा कि अगर उन्होंने अपने शब्दों से या सोच से किसी को निराश किया है तो उन्हें इसके लिए खेद रहेगा और वह अपने शब्द वापस लेती हैं।

कांग्रेस ने बोला था हमला 

कंगना रनौत के द्वारा कृषि कानूनों को फिर से लागू करने की मांग को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला बोल दिया था। कांग्रेस ने कहा था कि देश में 750 से ज्यादा किसान शहीद हुए तब जाकर मोदी सरकार नींद से जागी और इन कानूनों को वापस लिया गया। लेकिन अब बीजेपी के सांसद फिर से इन कानूनों की वापसी की योजना बना रहे हैं। कांग्रेस ने कहा था कि वह किसानों के साथ है। 

कांग्रेस ने इन कानूनों को काले कानून बताते हुए कहा है कि इन कानूनों की वापसी अब कभी नहीं होगी चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सांसद कितना ही जोर लगा लें। 

हरियाणा में सियासी नुकसान का डर 

ऐसे वक्त में जब हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार चल रहा है, कंगना रनौत के द्वारा कृषि कानूनों को फिर से लागू करने की मांग करना निश्चित रूप से बीजेपी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता था। ऐसे में शायद पार्टी नेतृत्व ने उनसे कड़े शब्दों में कहा है कि वह अपना बयान वापस ले लें।

हरियाणा-पंजाब में सड़क पर उतरे थे किसान

याद दिलाना होगा कि साल 2020 में जब मोदी सरकार कृषि कानून लेकर आई थी तो किसान सड़क पर उतर आए थे। हरियाणा और पंजाब में कृषि कानूनों के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन हुआ था और किसान दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर आकर बैठ गए थे। यह आंदोलन एक साल तक चला था और मोदी सरकार को बैकफुट पर आते हुए कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था।

बीजेपी नेता ने चेताया था कंगना को

कुछ दिन पहले ही कंगना रनौत को बीजेपी के नेता और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने नसीहत देते हुए कहा था कि बीजेपी सांसद को जरनैल सिंह भिंडरांवाले और सिख समुदाय के खिलाफ गैर जरूरी टिप्पणी करने से बचना चाहिए और अनुशासन में रहना चाहिए। कंगना रनौत ने अपनी आने वाली फिल्म इमरजेंसी के बारे में बात करते हुए कहा था कि पंजाब के 99% लोग यह नहीं मानते कि जरनैल सिंह भिंडरांवाला संत थे। उन्होंने इंटरव्यू में भिंडरांवाले को आतंकवादी बताया था।

इस मामले में इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में सोम प्रकाश ने कहा था कि किसी को भी पंजाब में शांति और सद्भाव को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।

कांग्रेस ने बोला था हमला

कंगना रनौत के द्वारा कृषि कानूनों को फिर से लागू करने की मांग को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला बोल दिया था। कांग्रेस ने कहा था कि देश में 750 से ज्यादा किसान शहीद हुए तब जाकर मोदी सरकार नींद से जागी और इन कानूनों को वापस लिया गया। लेकिन अब बीजेपी के सांसद फिर से इन कानूनों की वापसी की योजना बना रहे हैं। कांग्रेस ने कहा था कि वह किसानों के साथ है।

कांग्रेस ने इन कानूनों को काले कानून बताते हुए कहा है कि इन कानूनों की वापसी अब कभी नहीं होगी चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सांसद कितना ही जोर लगा लें।

पिछले महीने ही कंगना रनौत की एक टिप्पणी को लेकर बीजेपी ने किनारा कर लिया था। कंगना रनौत ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि किसान आंदोलन के नाम पर हिंसा हुई थी और उस दौरान बलात्कार और हत्या की घटनाएं हुई थी।