ओबीसी कोटे को सब-कैटेगरी में बांटने की बात इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। अब भाजपा के एक सांसद ने शुक्रवार को राज्यसभा में ओबीसी कोटे में सुधार का प्रस्ताव दिया। हालांकि भाजपा सांसद के इस प्रस्ताव पर सदन में हंगामा हो गया और कई विपक्षी राजनैतिक पार्टियों द्वारा इसकी आलोचना की गई। दरअसल भाजपा के सांसद डॉ. विकास महात्मे ने राज्यसभा में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसके तहत ओबीसी कोटे में बदलाव कर इसे सब-कैटेगरी में बांटने की वकालत की गई है। अपनी बात समझाते हुए भाजपा सांसद ने सवाल उठाया कि क्या एक सामान्य चरवाहे का बेटा, मेरे बेटे के साथ प्रतिस्पर्धा कर पाएगा?
बता दें कि भाजपा सांसद डॉ. विकास महात्मे नागपुर में आंखों के डॉक्टर हैं और खुद भी चरवाहा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। राज्यसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए डॉ. विकास महात्मे ने कहा कि ओबीसी कोटे में कुछ लोग ही आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं, और ऐसे लोग सामाजिक और शैक्षिक स्तर पर काफी आगे हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, भाजपा सांसद ने कहा कि मैं डांगर समुदाय से आता हूं और एक डॉक्टर हूं। मेरा बेटा और मेरे समुदाय के एक सामान्य व्यक्ति का बेटा एक-दूसरे के साथ ओबीसी कोटे के तहत एक-साथ प्रतिस्पर्धा करेंगे। आपको क्या लगता है कि क्या यह एक सही प्रतिस्पर्धा होगी? रेस में कौन आगे रहेगा, मेरा बेटा या फिर एक सामान्य चरवाहे का बेटा? डॉ.विकास महात्मे ने राज्यसभा में weighted indexing system नाम से एक प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव में सुझाव दिया गया है कि यदि एक बार किसी के परिजन आरक्षण का लाभ लेकर सरकारी नौकरी पा लेता है तो फिर उसकी अगली पीढ़ी को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए।
इसके साथ ही इस प्रस्ताव में यह सुझाव भी दिया गया है कि आरक्षण के तहत विधायक या सांसद चुने जाने के बाद ओबीसी नेताओं को भी अगली बार से सामान्य सीट से चुनाव लड़ना चाहिए। महात्मे के अनुसार इस प्रस्ताव के लागू होने के बाद जाति रहित समुदाय बनाने में मदद मिलेगी। महात्मे ने राज्यसभा में बताया कि ओबीसी समुदाय जो लोग सड़कों पर उतरते हैं या धरने-प्रदर्शन करते हैं, वो कभी भी आरक्षण का लाभ नहीं ले पाते। ओबीसी के सिर्फ 25% लोग ही आरक्षण का लाभ ले रहे हैं। हालांकि बाद में केन्द्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के कहने पर भाजपा सांसद ने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया। केन्द्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि भाजपा सांसद अपने इस प्रस्ताव को ओबीसी कोटे को सब-कैटेगरी करने के लिए गठित की गई कमेटी को दे सकते हैं। बता दें कि यह कमेटी इस साल मई के अंत तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप सकती है।

