भाजपा के सांसद अजय प्रताप सिंह ने खेती किसानों के मुद्दे पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर को घेर लिया। सांसद अजय प्रताप ने सदन में मंत्रीजी से पूछा कि किसान कौन है? उन्होंने किसानों की परिभाषा, उनकी संख्या को लेकर सवाल पूछा।

सांसद ने पूछा कि क्या सरकार ने किसानों की कोई परिभाषा तय की है? यदि कोई परिभाषा है तो सरकार बताए कि इसके तहत देश में कितने किसान हैं। भाजपा सांसद की तरफ से यह सवाल पिछले सप्ताह पूछा गया था। सरकार का कहना था कि वह किसानों के हितों की योजनाओं जैसे पीएम-किसान (प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि) को लागू करने को लेकर गंभीर है।

सांसद अजय प्रताप सिंह ने पूछा कि क्या सरकार की तरफ से किसानों के परिवारों की संख्या जानने को लेकर कोई सर्वे किया गया है। इसके जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने लिखित जवाब में कहा कि कृषि राज्यों का विषय है। चर्चा के दौरान भाजपा सांसद ने कहा कि किसान, मछुआरो, फल व सब्जियां उगाने वालों के साथ ही भूमिहीन खेतिहर मजदूर जिनके पास अपनी कोई जमीन नहीं है, वे लोग किसानों की सीमित परिभाषा के दायरे में शामिल नहीं हो पाते हैं।

आमतौर पर किसानों से आशय उन लोगों से होता है जिनके पास भूमि का स्वामित्व है। वास्तव में कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामिनाथन की तरफ से तैयार किए गए राष्ट्रीय किसान नीति के मसौदे में किसानों के लेकर स्पष्ट और व्यापक परिभाषा उपलब्ध है। साल 2007 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने राज्यों से विचार विमर्श के बाद आधिकारिक रूप से उसे मंजूरी भी दे दी थी।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव जो जय किसान आंदोलन के प्रमुख भी हैं का कहना है कि सरकार सभी किसानों के कल्याण की जिम्मेदारी से जानबूझ कर अपना पल्ला झाड़ना चाहती है। उन्होंने कहा कि किसानों के विकास के लिए अधिकतर योजनाएं जिनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान व गेहूं की खरीद आदि शामिल है, यह भूस्वामी लोगों के लिए ही है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 11.8 करोड़ किसान व 14.4 करोड़ खेतिहर मजदूर थे।

मसौदे के अनुसार नीति के उद्देश्य से किसान से आशय उस व्यक्ति से हैं जो आर्थिक और जीविका के उपार्जन के लिए फसल उगाने और अन्य प्राथमिक कृषि उपज के पैदावार के काम में जुटा है। इसमें कृषि से जुड़े सभी काम करने वाले, किसान, खेतिहर श्रमिक, बंटाई पर फसल उगाने वाले, पशुपालक, मछुआरे, मधुमक्खी पालन करने वाले, बागवानी करने वाले, देहाती, रोपाई करने वाले मजदूरों के साथ-साथ विभिन्न कृषि से जुड़े व्यवसायों जैसे कि रेशम कृमि पालन, कृमिपालन और कृषि-वानिकी में लगे व्यक्ति भी शामिल हैं।

इस किसान शब्द में आदिवासी परिवार/एक स्थान से दूसरे स्थान जाकर कृषि करने वाले, वनीय उत्पाद जैसे नट्स, सीड्स, मशरूम, औषधीय पौधे, मसाले आदि बेचने वाले लोग भी शामिल हैं।