पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार बनने के बाद भाजपा में उथल-पुथल देखने को मिली। एक तरफ जहां मुकुल रॉय ने दोबारा टीएमसी में वापसी कर ली तो वहीं कई अन्य नेताओं की भी वापसी के कयास लगाए जा रहे हैं। वहीं विधानसभा की बात करें तो बहुमत हासिल करने वाली टीएमसी भाजपा को झटके देने में कसर नहीं छोड़ रही। विधानसभा स्पीकर ने भाजपा से टीएमसी में आए मुकुल रॉय को ही पीएसी का चेयरमैन बना दिया। इसके बाद भाजपा इसे असंवैधानिक बता रही है। इसी मुद्दे को लेकर भाजपा के 8 विधायकों ने समितियों से इस्तीफा दे दिया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आठ विधायकों ने विधायक मुकुल रॉय की लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के विरोध में मंगलवार को विधानसभा की विभिन्न समितियों के प्रमुखों के रूप में इस्तीफा दे दिया।
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने रॉय की पदोन्नति पर आपत्ति जताते हुए तर्क दिया कि विधायक, जो पिछले महीने भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में चले गए थे, उन्हें भाजपा का विधायक नहीं माना जा सकता।
अब तक की परिपाटी के अनुसार, मुख्य विपक्षी दल के विधायक को पीएसी अध्यक्ष बनाया जाता है, और रॉय ने पार्टी बदलने के बावजूद सदन में भाजपा विधायक के रूप में पद नहीं छोड़ा है। भाजपा के विधायकों में से एक मनोज तिग्गा ने एक स्थायी समिति से इस्तीफा देने के बाद कहा, ‘‘रॉय की नियुक्ति अलोकतांत्रिक और पक्षपातपूर्ण राजनीति का नग्न प्रदर्शन है। इसके विरोध में, हमने पद छोड़ने का फैसला किया है।’’ अधिकारी के नेतृत्व में, मिहिर गोस्वामी, भीष्म प्रसाद शर्मा और तिग्गा सहित आठ विधायक बाद में राज्यपाल जगदीप धनखड़ को ‘‘सत्तारूढ़ दल द्वारा लोकतांत्रिक मानदंडों के घोर उल्लंघन’’ से अवगत कराने के लिए राजभवन गये।
इस बीच, सदन में तृणमूल कांग्रेस के उप मुख्य सचेतक तापस रॉय ने कहा कि यह भाजपा का फैसला था और वह उस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी विधानसभा समिति के लिए नियुक्तियों को अध्यक्ष के विवेक पर छोड़ दिया जाना चाहिए, जिन्होंने इस मामले में नियम का पालन किया। यह ध्यान में रखना होगा कि भाजपा सत्ता पर कब्जा करने के लिए पूरे देश में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को गिराने की साजिश रच रही थी। उन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है।’’ गौरतलब है कि रॉय को पीएसी का प्रमुख बनाए जाने के बाद नौ जुलाई को भाजपा विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट किया था। (भाषा से इनपुट्स के साथ )