दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व प्रमुख और पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने बृजभूषण के खिलाफ एक नाबालिग पहलवान द्वारा दायर यौन उत्पीड़न मामले में पुलिस द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार कर ली। अब बृजभूषण शरण सिंह पर से पॉक्सो की धारा हट जाएगी।
नाबालिग ने क्या कहा था?
नाबालिग पहलवान ने कहा था कि उसने बहकावे में आकर आरोप लगाया था। बता दें कि 1 अगस्त 2023 को बंद कमरे में सुनवाई हुई थी और नाबालिग पहलवान ने अदालत को बताया था कि वह दिल्ली पुलिस की जांच से संतुष्ट है। नाबालिग ने यह भी कहा था कि उसे क्लोजर रिपोर्ट पर कोई आपत्ति नहीं है।
दिल्ली पुलिस ने 15 जून 2023 को इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी। वहीं नाबालिग पहलवान के पिता ने भी दावा किया था कि उन्होंने बृजभूषण के खिलाफ झूठी शिकायत दी थी। बयानों के बाद पुलिस ने पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज केस को बंद करने की सिफारिश की थी। अब इस सिफारिश को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। यानी बृजभूषण शरण सिंह पर से पॉक्सो की धारा हट जाएगी।
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POCSO मामले में दिल्ली पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 173 के तहत एक रिपोर्ट पेश की। इसमें नाबालिग शिकायतकर्ता और उसके पिता के बयानों के आधार पर मामले को रद्द करने का अनुरोध किया गया। कोर्ट के फैसले के बाद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे प्रतीक भूषण ने X पर लिखा, “हमने एक झूठे और मनगढ़ंत मामले में न्यायिक विजय प्राप्त की है। प्रत्येक तथ्यहीन आरोप अब न्याय के कठघरे में धराशायी हो रहा है। यह सत्य की जीत है और यह जीत आगे भी कायम रहेगी।”
क्या थे आरोप?
नाबालिग के पिता ने अप्रैल में बृजभूषण सिंह के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न, पीछा करने और आपराधिक धमकी के लिए शिकायत दर्ज कराई थी। एक महीने से ज़्यादा समय बाद लड़की ने मजिस्ट्रेट के सामने अपने आरोप वापस ले लिए। POCSO अधिनियम में कम से कम तीन साल की कैद का प्रावधान है, जो उन धाराओं पर निर्भर करता है जिनके तहत मामला दर्ज किया गया है।