लोकसभा चुनाव 2019 को देखते हुए बीजेपी ने अपनी ताकत का आंकलन शुरू कर दिया है। पार्टी अपने सहयोगी दलों के साथ-साथ अकेले चुनाव लड़ने की स्थिति को भी तौल रही है। महाराष्ट्र के संदर्भ में शिवसेना के तेवर को देखते हुए बीजेपी ने एक आंतरिक सर्वे कराया है। सर्वे में बीजेपी ने अकेले चुनाव लड़ने की परिस्थिति को समझने की कोशिश की है। इसके मुताबिक अगर बीजेपी अगर शिवसेना से अलग होकर लोकसभा चुनाव लड़ती है तो उसे कुछ ख़ास सीटों का नुकसान नहीं होगा।महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर कराए गए इस आंतरिक सर्वे के मुताबिक अगर बीजेपी शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ती है तो उसे पिछली बार के मुकाबले 11 सीटों का नुकसान उठाना पड़ेगा। वहीं, अगर अकेले चुनाव लड़ती है तो उसे 8 सीटों का घाटा होगा।
लोकसभा चुनाव 2014 में महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीटों में से बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को कुल 41 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। एक उपचुनाव हारने के बाद यह आंकड़ा 40 का है। मौजूदा वक्त में बीजेपी के पास 22 और शिवसेना के खाते में 18 सीटें हैं। वहीं, एनसीपी को 5, कांग्रेस को 2 और स्वाभिमानी पक्ष के हिस्से में एक सीट है। इस बीच टाइम्स नाऊ ने बीजेपी के आंतरिक सर्वे का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट छापी है, जिसमे बताया गया है कि अगर शिवसेना और बीजेपी साथ चुनाव लड़ते हैं तो इन्हें 30 से 34 सीटों पर जीत हासिल हो सकती है। वहीं, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन को 19-20 सीटें मिल सकती हैं। लेकिन, अगर शिवसेना और बीजेपी अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं तो बीजेपी की 15-18 सीटें हासिल हो सकती हैं। जबकि, शिवसेना के खाते में 8-10 सीटें आ सकती हैं। हालांकि, इस सूरत में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को फायदा मिलेगा और वह 22-28 सीटें हासिल कर सकती है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र और केंद्र की सरकार में बीजेपी और शिवसेना सहयोगी पार्टियां हैं। हालांकि, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एलान किया है कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव अकेले ही लड़ेगी। ठाकरे कई मर्तबा बीजेपी विरोधी बयान दे चुके हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने अयोध्या का दौरा किया था और राममंदिर को लेकर बीजेपी को खरी-खोटी सुनाई। राज्यों के चुनावों में मिली हार पर उन्होंने तंज कसा और इसे बीजेपी के अहंकार की हार करार दिया था। हालांकि, वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए जानकार मानते हैं कि बीजेपी और शिवसेना को साथ लड़ने में ही भलाई है। वर्ना उनके विरोधी कांग्रेस और एनसीपी को इसका प्रत्यक्ष रूप से फायदा मिलेगा।
ऐसे में माना जा रहा है आगामी दिनों में दोनों के रिश्तों में जमी बर्फ पिघल सकती हैं। क्योंकि, हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने शिवसेना के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव 2019 लड़ने की बात कही थी। हालांकि, सीटों पर समझौते को लेकर बीते कुछ दिनों में शिवसेना के भी सुर नरम पड़े हैं।

