भाजपा ने टीडीपी के जिन सांसदों को कभी विजय माल्या बताया था अब वह भाजपा का ही हिस्सा हो गए हैं। टीडीपी के राज्यसभा में चार सांसदों में तीन ने बृहस्पतिवार को भाजपा का दामन थाम लिया। टीडीपी के राज्यसभा सांसद टीजी वेंकटेश, सीएम रमेश और वाईएस चौधरी ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा था।

उस दौरान भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत भी मौजूद थे। टीडीपी के सांसद रहे सीएम रमेश और वाई एस चौधरी सांसद के साथ ही उद्योगपति भी हैं। ये लोग आयकर विभाग, सीबीआई के साथ ही ईडी की जांच के घेरे में भी हैं। टीडीपी सांसद रमेश का नाम सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेश राकेश अस्थाना में हुए विवाद के दौरान सामने आया था।

रमेश की कंपनी के खिलाफ आयकर विभाग जांच चल रही थी। इसके अलावा रमेश कथित बैंक लोन धोखाधड़ी के मामले में सीबीआई और ईडी की राडार पर भी थे। हालांकि, सांसद ने खुद को निर्दोष बताते हुए किसी भी तरह का गलत काम करने से इनकार किया था। हालांकि, इस बारे में टेक्सट मैसेज का उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।

भाजपा प्रवक्ता ने बताया था ‘माल्या’ : पिछले साल नवंबर में भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने वाईएस चौधरी और सीएम रमेश को ‘आंध्र प्रदेश का माल्या’ बताया था। इसके साथ ही उन्होंने राज्य सभा की एथिक्स कमेटी को इन लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के संबंध में पत्र भी लिखा था।

भाजपा प्रवक्ता ने 28 नवंबर को एथिक्स कमेटी को लिखे पत्र को ट्वीट किया था। इसमें लिखा था, ‘मैंने एथिक्स कमेटी को टीडीपी के दो सांसदों वाईएस चौधरी और सीएम रमेश को अयोग्य ठहराने के लिए पत्र लिखा है। बडे़ वित्तीय घोटालों के कारण ‘आंध्र के माल्या’ का खिताब हासिब किया है।’

आयकर जांच में संदिग्ध लेनदेन का खुलासाः पिछले साल अक्तूबर में आयकर जांच में रमेश से जुड़ी कंपनी में 100 करोड़ के संदिग्ध लेनदेन का बात सामने आई थी। आयकर विभाग ने 12 अक्तूबर को हैदराबाद में कंपनी के विभिन्न परिसरों और रमेश के कडपा स्थित आवास पर छापा भी मारा था।

उसके बाद टीडीपी ने छापों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए इसे राजनीतिक रूप से बदले की कार्रवाई बताया था। वहीं सीएस चौधरी पर सीबीआई 360 करोड़ रुपये के लोन धोखाधड़ी के मामले में तीन सेट एफआईआर भी दाखिल कर चुकी है।