बिलकिस बानो मामले के 11 दोषियों को क्यों रिहा किया गया, इसका जवाब केंद्र और गुजरात की सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी देने में आनाकानी कर रही है। टॉप कोर्ट ने बीजेपी की दोनों सरकारों से कहा था कि वो दोषियों की रिहाई की फाइल उनके सामने पेश करे। लेकिन सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल फाइल लेकर नहीं पहुंचे।

अदालत ने जब अवमानना की चेतावनी दी तो उनका कहना था कि वो सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देंगे जिसके तहत केंद्र और गुजरात की सरकार से दोषियों की रिहाई की फाइल अदालत में पेश करने को कहा गया है। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल गुजरात और केंद्र दोनों सरकारों की तरफ से पेश हुए।

सुप्रीम कोर्ट के तेवर उस समय बेहद तल्ख हो गए जब एएसजी राजू दोषियों की रिहाई की फाइल लेकर नहीं आए। जस्टिस केएम जोसेफ का कहना था कि आपको हमें फाइल दिखाने में क्या दिक्कत है। आपने हमारे फैसले के खिलाफ रिव्यू भी दाखिल नहीं किया। आपकी ये हरकत अवमानना की कैटेगरी में आती है। हम आपसे फाइल मांग रहे हैं ओऔर आप लगातार हीलाहवाली कर रहे हैं। ये रवैया बिलकुल ठीक नहीं है। जस्टिस जोसेफ का कहना था कि अगर आप हमें फाइल न दिखाने का कोई वाजिब कारण नहीं बताएंगे तो हम अपने हिसाब से आकलन कर लेंगे।

केंद्र के फैसले को मानने के लिए बाध्य नहीं थी गुजरात सरकार- बोले जस्टिस

जस्टिस जोसेफ का कहना था कि कोई भी सरकार कानून से ऊपर नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने बिलकिस के दोषियों को रिहा करने का फैसले पर सहमति दे दी थी तो कम से कम राज्य सरकार को तो अपने दिमाग का इस्तेमाल करना था। उनका कहना था कि गुजरात सरकार के ऊपर ऐसा कोई दबाव नहीं था जिसमें वो केंद्र के फैसले को मानने के लिए बाध्य थी। वो अपने हिसाब से फैसला कर सकती थी कि इतने जघन्य मामले के दोषियों को रिहा किया जाए या नहीं। कोर्ट का कहना था कि गुजरात सरकार ने जो रवैया अपनाया वो कैसे भी स्वीकार नहीं किया जा सकता।

जस्टिस नागरत्ना ने कहा- दोषी एक एक करके दाखिल कर रहे हैं जवाब, ये सुनवाई को टालने की कोशिश

जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच के सामने बिलकिस मामले की सुनवाई हुई। दोनों जजों ने सरकार की हीलाहवाली को लेकर कई बार एतराज जताया। जस्टिस बीवी नागरत्ना का तो यहां तक कहना था कि मामले की सुनवाई को टालने की कोशिश की जा रही है। एक तारीख पर एक दोषी अपना जवाब दाखिल करता है तो दूसरा दोषी अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए दूसरी तारीख की मांग कर देता है। उनका कहना था कि ऐसे ही चलता रहा तो मामले की सुनवाई पूरी होने में लंबा अरसा लगेगा। दोषियों का ये बर्ताव अदालत को खासा खराब लगा।

बीजेपी की गुजरात सरकार ने बिलकिस के दोषियों को 15 अगस्त 2022 को रिहा कर दिया था। बिलकिस ने उनकी रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दरखास्त लगाई लेकिन अदालत ने सुनवाई से इनकार कर दिया। बाद में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के लिए स्पेशल बेंच गठित की थी।