टीपू जयंती नहीं मनाने पर कर्नाटक की भाजपा सरकार को हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है। कोर्ट ने पूछा है कि एक दिन में कैसे इतना बड़ा फैसला ले लिया गया। कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार एक बार फिर से इसपर विचार करे। 18वीं शताब्दी के मैसूर शासक टीपू सुल्तान की जयंती न मनाने के फैसले के बाद बी एस येदियुरप्पा सरकार सवालों के घेरे में है।
इस फैसले के खिलाफ समाजिक कार्यकर्ताओं के ग्रुप ने हाई कोर्ट में याचिक दायर की थी। मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका और न्यायमूर्ति एसआर कृष्णकुमार की पीठ ने कहा ‘हम राज्य सरकार को 30 जुलाई को लिए गए उनके फैसले पर उन्हें पुनर्विचार करने का निर्देश देते हैं।’
कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार बनने के बाद कैबिनेट का गठन तक नहीं हुआ था लेकिन ‘मात्र एक दिन’ में फैसला ले लिया गया। फैसला इस तरह से नहीं लिया जाना चाहिए कि वह मनमाना लगे। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सरकार 3 जनवरी 2020 तक अपना जवाब दाखिल करे। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि जो लोग जयंती मना रहे हैं, सरकार उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे। बता दें कि टीपू जयंती 10 नवंबर को मनाई जाती है।
बता दें कि इस साल जुलाई में लिए गए फैसले में येदियुरप्पा सरकार ने टीपू जयंती के वार्षिक समारोह को कनार्टक की भाजपा सरकार ने रद्द कर दिया था। कांग्रेस शासन के दौरान शुरू हुए इस समारोह का आयोजन 2015 से हो रहा था।
येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली नई सरकार ने सत्ता में आने के तीन दिन के भीतर ‘‘टीपू जयंती’’ समारोह को रद्द करने से संबंधित आदेश पारित किया था। भाजपा और दक्षिणपंथी संगठनों के विरोध के बीच सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 2015 से हर साल 10 नवंबर को वार्षिक समारोह के आयोजन की शुरुआत की थी।