बमुश्किल दो महीने पहले ही भाजपा ने अपनी महिला मोर्चा कार्यकर्ताओं के बीच एक प्रशिक्षण पुस्तिका का वितरण किया था। इस पुस्तिका में चीन को भारत और भारतीय हितों के लिए खतरा बताया गया था। लेकिन भाजपा ने इसी पुस्तिका के अंग्रेजी संस्करण में अपनी राय को बदल दिया है। पुस्तिका में लिखा गया है कि, ”चीन के साथ हमारा सीमा विवाद काफी पुराना है। हालांकि, पहले ऐसा लगता था कि चीन इस विवाद का कोई समाधान नहीं चाहता है। लेकिन अब इस मोर्चे पर भी सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। ये भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद संभव हुआ है।”

इस पुस्तिका के हिंदी संस्करण में लिखा गया था कि ऐसा नहीं लगता कि चीन की इस मसले के समाधान में कोई रुचि है। इसके अलावा हालांकि साल 1962 के बाद से दोनों देशों के बीच में एक भी गोली नहीं चली है। इसके अलावा कोई बड़ा तनाव भी खड़ा नहीं हुआ है। इसके बावजूद चीन सीमा पर भारी मात्रा में हथियारों का जखीरा जमा कर रहा है। हाल ही में चीन ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का समर्थन ज़की उर रहमान लखवी के मामले में किया है। लेकिन अंग्रेजी संस्करण में ये लाइनें हटा दी गईं हैंं।

इसी पुस्तिका के एक अध्याया, ‘विदेशी चुनौतियां’ में लिखा गया है कि तभी से सीमा पर शांति बनी हुई है। इसके अलावा कोई नाराजगी भरी बहस भी नहीं हुई है। लेकिन इसके बावजूद चीन भारतीय सीमा के नजदीक बड़ी तादाद में हथियारों का जखीरा जमा कर रहा है। इससे भारत के लिए भी लगातार प्रतिस्पर्धी माहौल बना रहता है। ये माहौल संयुक्त राष्ट्र में भारत विरोधी कुछ मुद्दों पर भी बना रहता है।

पुस्तिका में लिखा गया है,”हालांकि, भारत ने हमेशा ही चीन के साथ आर्थिक सहयोग की नीति अपनाई है। चीन लगातार अपनी नौसेना बेड़े को मजबूत कर रहा है। ये समुद्र में भारत के हितों के लिए सीधी चुनौती जैसा है। ये हम सभी के लिए चिंता का विषय है। भारतीय सीमाओं के निकट विशाल सड़क नेटवर्क बनाकर चीन पाकिस्तान और श्रीलंका की मदद कर रहा है। ये भारतीय के नियंत्रण वाले समुद्री क्षेत्र के लिए बड़ी चुनौती खड़ी करता है।”