बीजेपी ने शुक्रवार को पार्टी के प्रवक्ता कृष्ण कुमार जानू को बीजेपी सरकार और जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के प्रति उनके तिरस्कार पर टिप्पणी करने के बाद निष्कासित कर दिया। आधिकारिक तौर पर कहा जा रहा है कि जानू ने हर्षिनी कुल्हारी की बीजेपी झुंझुनू जिला अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को लेकर आपत्ति जताई थी। इसी वजह से उन्हें निष्कासित कर दिया गया है।

शुक्रवार को पार्टी ने एक आदेश जारी किया। बीजेपी की राज्य अनुशासन समिति के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने कहा कि जानू को 20 जून को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। वह अपने जवाब में अपने कामों को सही बताने में सफल नहीं रहे। इसके बाद उनके निष्कासन पर छह साल की मुहर लग गई। पिछले कुछ दिनों में एक तेजी से एक वीडियो वायरल हुआ था।

जाट नेताओं से किया सवाल

इस वीडियो में जानू को जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ कथित अपमानजनक बर्ताव और जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद से हटाए जाने को लेकर बीजेपी के जाट नेटाओं की आलोचना करते हुए सुना जा सकता है। दोनों ही जाट हैं। वीडियो में जानू कहते हैं कि पूर्व राज्यपाल के अंतिम संस्कार और उनके प्रति सरकार के तिरस्कार को देखकर उन्हें गहरा दुख पहुंचा है और वह पार्टी में काम कर रहे जाटों से सवाल पूछना चाहते हैं, चाहे वे सांसद हों, विधायक हों या अन्य पदधारी हों।

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उन्होंने उनसे पूछा कि वे कैसे सोच सकते हैं कि मलिक के साथ जो हुआ, वह उनके साथ नहीं होगा और जिस तरह से तिरस्कार का उदाहरण दिया गया, उसे सही नहीं ठहराया जा सकता। वह केवल इतने पर ही नहीं रूके उन्होंने कहा कि पार्टी का मौजूदा नेतृत्व लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा, प्रवीण तोगड़िया, संजय जोशी और वसुंधरा राजे जैसे दिग्गज नेताओं को किनारे करने के लिए जिम्मेदार है और अब मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को कठपुतली बना दिया है।

सत्यपाल मलिक का अपमान हुआ – कृष्ण कुमार जानू

कृष्ण कुमार जानू ने कहा, ‘बीजेपी जमीनी स्तर पर लोकप्रिय जननेताओं के साथ जो कर रही है, वह बेहद दुखद है। पार्टी इन सबके जरिये गलत दिशा में जा रही है। मुझे समझ नहीं आ रहा कि लोग चुप क्यों हैं।’ जानू ने कहा, “सत्यपाल मलिक के अंतिम संस्कार के दौरान जो अपमान हुआ, एक संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार नहीं दिया गया, यह इस बात का संकेत है कि सरकार पूर्वाग्रह से ग्रस्त है और डर के मारे ऐसा व्यवहार कर रही है।” उन्होंने आगे कहा कि जो डर के कारण अपने सिद्धांतों से समझौता करता है, वह जाट नहीं है।

कृष्ण कुमार जानू ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के पद छोड़ने पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि कोई भी विदाई भाषण या पार्टी नहीं दी गई। जानू ने कहा, ‘एक अहंकारी सरकार से टकराव करना जाटों का संस्कार है।’ उन्होंने बीजेपी के अंदर जाटों की आलोचना की और उनसे गलत के खिलाफ बोलने का आग्रह किया। 4 राज्यों के राज्यपाल रहे मगर नहीं हुआ राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार