हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने हिसार के उकलाना से आशा खेदर को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। भाजपा की तरफ से उम्मीदवारी की घोषणा के बाद 36 वर्षीय आशा 13 साल बाद पहली बार बिना घूंघट के लोगों के बीच पहुंची। वह पूरे आत्मविश्वास के साथ लोगों से मिलीं और अपने लिए वोट मांगे।
दलित महिला आशा ने जाट बिजनेसमैन से 13 साल पहले शादी की थी। आशा का कहना है कि शादी के इतना समय बीतने के बाद भी वह अभी तक बिना पर्दे के अपने ससुराल नहीं गई थीं। उन्होंने बताया कि चूंकि मैं इस गांव की बहू हूं तो लोग इन बातों पर बड़ा ध्यान देते हैं।
आशा ने कहा कि उकलाना सुरक्षित सीट से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद मैं अपने ससुराल पहुंची। यहां 2000 से अधिक लोग एकत्रित हुए थे। मुझे इस पर बड़ी हैरानी हुई कि लोगों ने मुझे घूंघट हटाने को कहा। वे लोग मुझे पूरे आत्मविश्वास के साथ लोगों के बीच में जाने को कह रहे थे। गांव के लोगों ने मुझे अपनी बेटी कहा। उनका कहना था कि इस तरह की शुरुआत घर से ही होनी चाहिए। अब मैं बिना घूंघट के गांव में घूमकर लोगों से मिलूंगी और खुद को वोट करने के लिए कहूंगी।
इस बारे में जिला परिषद् सदस्य राजबीर खेदर का कहना है कि राजनेता घूंघट करें यह ठीक नहीं लगता है। यदि वह चुनाव जीत गई तो वह मेरी मंत्री बनेगी। ऐसे में यह बहुत अजीब लगेगा कि वह बड़े कार्यक्रमों में घूंघट कर पहुंचेगी। गांव के पूर्व सरपंच शमशेर सिंह का कहना है कि गांव की बहू होने के नाते उसे घूंघट में रहना चाहिए लेकिन वह घूंघट में किस तरह से वोटरों से मिल पाएगी। हम उसकी सफलता की कामना करते हैं। हमने उसे घूंघट को छोड़कर अपने चुनाव पर ध्यान लगाने को कहा है।
आशा बताती हैं कि उन्होंने उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से संस्कृत में मास्टर्स किया। इससे पहले उन्होंने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से इंग्लिश में मास्टर्स किया था। वह कहती है कि वह कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से बीएड और अंग्रेजी में एम. फिल कर चुकी हैं। वह फिलहाल रोहतक के बीएमयू से पुलित्जर पुरकार विजेता झुंपा लाहिड़ी पर पीएचडी कर रही हैं।
आशा चंडीगढ़ में पली बढ़ी हैं। उनके पिता हरियाणा रोडवेज में काम करते थे। उनके पति पेट्रोल पंप चलाते हैं। उनकी 11 साल की एक बेटी है। आशा साल 2007 में भाजपा में शामिल हुई थी। वह वर्तमान में हिसार इकाई की पार्टी महासचिव हैं।