नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ‘जय श्री राम’ नारे को लेकर दिए अपने बयान की वजह से बीजेपी के निशाने पर हैं। दरअसल, जादवपुर विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान सेन ने कहा था कि ‘मां दुर्गा’ के जयकारे की तरह ‘जय श्रीराम’ का नारा बंगाली संस्कृति से नहीं जुड़ा है और इसका इस्तेमाल ‘लोगों को पीटने के बहाने’ के तौर पर किया जाता है।
सेन के बयान से नाराज आसनसोल से सांसद और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा कि यह उनकी उम्र का असर है। टि्वटर पर बाबुल सुप्रियो ने लिखा कि ऐसे बयान सेन के दिमाग की उपज नहीं, बल्कि उनकी उम्र का असर है। अगर ऐसा न होता तो वह समझते कि बंगाल में ‘जय श्री राम’ विरोध जताने का प्रतीक है न कि इसका धर्म से कोई कनेक्शन है। सुप्रियो के मुताबिक, यह नारा ‘लोगों को पीटने’ के लिए नहीं, बल्कि उत्पीड़न करने वालों के खिलाफ खड़े होने में इस्तेमाल होता है।
बाबुल यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा, ‘यह बेहद दुखद है कि वह (सेन)’ ऐसे बयान दे रहे हैं लेकिन वह बंगालियों पर टीएमसी के जुल्मों पर एक शब्द नहीं कहते। समाज और उसके बर्ताव के बारे में दुनिया को शिक्षित करने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता ममता और तृणमूल के शासन में पश्चिम बंगाल की तकलीफों पर खामोश रहे।’
It’s Sir’s @amartya Sen) age speaking not his mind or else he wud hv understood that, in Bengal ‘JaiShreeRam’ is more a Symbolic Phrase of Protest than it is abt religion! #JaiShreeRam is surely not used “to beat people up” rather it’s 2 stand up against those who torture #TMchhi pic.twitter.com/bjPbv3WjGj
— Babul Supriyo (@SuPriyoBabul) July 6, 2019
Utterly sad that he makes such a comment but never utters a single word against all the #TMchhi atrocity against Bangalis in every sphere of life•A Noble Laureate who educated the world abt society&it’s behavioural patterns remained quiet abt WB’s plight under the Mamta-TMchhi
— Babul Supriyo (@SuPriyoBabul) July 6, 2019
वहीं, पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने अमर्त्य सेन पर निशाना साधते हुए कहा कि विदेश में रहने के कारण वह जमीनी हकीकत से वाकिफ नहीं हैं। घोष ने बुद्धिजीवियों के एक वर्ग पर नारे लगाने के लिए पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याओं पर आंख मूंद लेने का भी आरोप लगाया। घोष ने कहा, ‘वह (सेन) विदेश में रहते हैं, वह जमीनी हकीकत से वाकिफ नहीं हैं। सभी के लिए अच्छा होगा कि वह विदेश में ही रहें।’
बता दें कि बंगाल के बीरभूम जिले के शांति निकेतन में जन्मे अर्थशास्त्री की टिप्पणी उन घटनाओं की पृष्ठभूमि में आई है, जिनमें देश के कई हिस्सों में लोगों के एक वर्ग ने कथित तौर पर दूसरों को ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए विवश किया और इनकार करने पर उनकी पिटाई की।
घोष ने पत्रकारों से कहा, ‘कुछ बुद्धिजीवी हैं जो कह रहे हैं कि ‘जय श्री राम’ भीड़ द्वारा लोगों को पीटने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला राजनीतिक नारा है। लेकिन असल बात यह है कि बंगाल में हमारे दर्जनों पार्टी कार्यकर्ताओं की हर दिन ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए हत्याएं की जा रही हैं और उन्हें पीटा जा रहा है।’ उन्होंने दावा किया कि पश्चिम बंगाल देश में राजनीतिक हत्याओं के मामले में शीर्ष पर है। प्रदेश भाजपा प्रमुख ने कहा कि राज्य में बुद्धिजीवी ऐसी घटनाओं पर चुप्पी साधे हुए हैं।
(भाषा इनपुट्स के साथ)