नागालैंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने कमर कस ली है। वहीं भारतीय जनता पार्टी और नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने गठबंधन का ऐलान करते हुए सीटों के बंटवारे की भी घोषणा कर दी है। जिसमें बीजेपी 20 सीटों पर, जबकि नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी 40 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
इससे पहले दिन में नागालैंड के सीएम नेफ्यू रियो ने असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। रियो ने बैठक के बाद कहा, “हमने अपनी पार्टी और गठबंधन सरकार और नागालैंड के अन्य मुद्दों पर चर्चा की। बता दें, असम के मुख्यमंत्री नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के संयोजक हैं। शांति प्रक्रिया पर रियो ने कहा, ‘बातचीत चल रही है। यह बातचीत करने वाले पक्षों पर निर्भर करता है…हम आशान्वित हैं।”
पिछले महीने नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने 21 विधायकों ने पाला बदलते हुए नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) में शामिल हो गए थे। प्रदेश में एनपीएफ और एनडीपीपी क्षेत्रीय पार्टियां काफी मजबूत है। वही भाजपा और कांग्रेस भी अपनी जड़े मजबूत करने में जुटी हुई हैं।
संयुक्त जनतांत्रिक गठबंधन के अध्यक्ष टीआर जेलियांग ने कहा था कि उनके 20 अन्य एनपीएफ विधायकों के साथ मुख्यमंत्री नेफिउ रियो की एनडीपीपी में शामिल होने का उद्देश्य ‘तीसरे पक्ष’ को लाभ लेने से रोकना था। नागालैंड की चुनावी रणनीति पर बात करते हुए कहा कि राज्य में दो मजबूत क्षेत्रीय दल हैं।
जेलियांग ने कहा था कि यह भाजपा, कांग्रेस या कोई अन्य पार्टी हो सकती है। उनके मुताबिक जब राज्य में दो मजबूत क्षेत्रीय दल होंगे तो कोई तीसरा पक्ष इसका फायदा कैसे उठाएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने 29 मार्च को एनडीपीपी में 21 एनपीएफ विधायकों के शामिल होने के बाद सार्वजनिक डोमेन में सामने आए कुछ भ्रम को दूर करने के लिए एक प्रेस वार्ता बुलाई थी।
