कोलकाता में पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के बजाव में धरने पर बैठीं ममता बनर्जी ने 2019 के रण का आगाज कर दिया है। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी कमिश्नर स्तर के अधिकारी के बचाव में खुद मुख्यमंत्री हो। ताजा विवाद में घिरे राजीव कुमार पर पहले भी आरोप लग चुके हैं। हालांकि तब राजीव कुमार पर राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया था। कोलकाता पुलिस कमिश्नर पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने फोन टैपिंग के आरोप लगाए थे। यह मामला 2016 का था, जब विधानसभा चुनाव होने थे।

हालांकि, इस वाकये से जुड़ा एक और दिलचस्प किस्सा है। कोलकाता में धरने पर बैठ दिल्ली हिलाने की तैयारी में लगीं ममता बनर्जी ने खुद फोन  टैपिंग का आरोप लगाया था। सीएम ममता 2011 के विधानसभा चुनाव से पहले यह आरोप लगाया था। हालांकि उस दौरान ममता ने किसी का नाम नहीं लिया था। हालांकि पैठ बनाने में माहिर राजीव कुमार ममता बनर्जी के भी करीबी बन गए। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की मानें तो सरकार बनाने के बाद ममता की नजरें राजीव कुमार पर टेढ़ी की थीं। लेकिन उस वक्त के अधिकारियों की सलाह पर ममता बनर्जी ने राजीव कुमार को अभय दान दे दिया था।

2016 में भाजपा और कांग्रेस की शिकायत पर चुनाव आयोग ने मामले पर कार्यवाई की थी। आयोग ने उस वक्त राज्य सरकार से राजीव कुमार को हटाने का निर्देश दिया था। जिसके चलते उन्हें हटाया गया गया था। लेकिन चुनाव के बाद ही राजीव कुमार को वापस ले आया गया। इसके बाद मई 2016 में सरकार ने राजीव कुमार को कोलकाता पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी दे दी गई। राजीव कुमार 1989 बैच के पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। राजीव कुमार मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं।